लोगों को अपने जाल में फंसाने का काम सिर्फ स्कैमर्स ही नहीं करते हैं, बल्कि तमाम कंपनियां भी करती हैं. पिछले कुछ वक्त से एक नाम चर्चा में है. हम बात कर रहे हैं Dark Pattern की, जिसका इस्तेमाल तमाम कंपनियां करती हैं. इसका इस्तेमाल सिर्फ ऑनलाइन ही नहीं बल्कि ऑफलाइन भी किया जाता है.
आसान शब्दों में कहें, तो इसका इस्तेमाल ज्यादा से ज्यादा लोगों को अपना प्रोडक्ट बेचने के लिए किया जाता है. अब सवाल ये है कि फिर इस पैटर्न में स्कैम क्या है. दरअसल, इसका इस्तेमाल करके कंपनियां ग्राहकों को अपना प्रोडक्ट खरीदने के लिए मजबूर करती हैं. आप सोच रहे होंगे कि कोई ऐसा कैसे कर सकता है.
सबसे पहले उदाहरण लेते हैं किसी फ्लाइट बुकिंग का. जब आप किसी कंपनी की फ्लाइट बुक करने जाते हैं, तो दिखाता है कि कुछ ही सीट्स बची हैं और ज्यादातर बुक हो चुकी हैं. आप हड़बड़ाहट में उसे तुरंत ही बुक करेंगे. इस तरह से कंपनी आपको आसानी से अपनी एक सीट बेच देती हैं.
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दूसरा उदाहरण ले लेते हैं कि शॉपिंग मॉल में मौजूद किसी प्रोडक्ट का. सेलर उस प्रोडक्ट को कुछ इस तरह से शोकेस करता है कि अगर आपने उसे नहीं खरीदा, तो आपको पछतावा होगा. इसके लिए तमाम तरह के लालच दिए जाते हैं और अंत में ग्राहक डार्क पैटर्न का शिकार होकर फंस जाता है.
Dark Pattern Explained
Dark पैटर्न एक तरह का यूज़र इंटरफ़ेस होता है जो इस तरह से डिज़ाइन किया जाता है कि इससे कंपनियाँ का फ़ायदा हो सके. कई बार ई-कॉमर्स कंपनियाँ अपने प्लैटफ़ॉर्म पर प्राइसिंग और प्रोडक्ट के डिटेल्स को लेकर कुछ चीजें हाइड करती हैं या ऐसी जगह रखती हैं जहां यूज़र्स को दिखता नहीं. डार्क पैटर्न सिर्फ़ ऑनलाइन ही नहीं होता, बल्कि ये प्रैक्टिस कंपनियाँ अपने कस्टमर्स को एक तरह से बेवकूफ बनाने के लिए ऑफ़लाइन भी यूज करती हैं.
एक उदाहरण, सेल के दौरान Amazon पर जितने भी प्रोडक्ट्स थे उसकी असली क़ीमत नीचे दिखती थी, जबकि EMI की एक किश्त बोल्ड फॉन्ट में प्रोडक्ट के पास दिखाई देती थी. इसे देख कर ऐसा लग रहा था कि प्रोडक्ट सस्ता है. 1 लाख रुपये का मैकबुक के प्रोडक्ट पेज पर सबसे ऊपर जहां क़ीमत होनी चाहिए थी वहाँ पर एक EMI किश्त मेंशन होती थी जो लगभग 10 हज़ार रुपये होती है. ये भी डार्क पैटर्न का एक अच्छा एग्जाम्पल है.
इसी तरह किसी सामान के साथ कंपनियाँ इंश्योरेंस भी बेचती हैं और साथ में लेने पर सस्ता कर देती हैं. ऐसे में यूज़र्स ना चाह कर भी वो इंश्योरेंस लेता है और ज़्यादा पैसा देता है.
कई ऐप्स या वेबसाइट पर जब आप किसी सर्विस के लिए सब्सक्राइब करते हैं या पैसे देते हैं. सब्सक्राइब करने का ऑप्शन बोल्ड होता है और आसानी से विजिबल होता है, लेकिन वहीं उसे अनसब्सक्राइब करने का ऑप्शन छोटा होता है और मोस्टली हिडेन होता है और उसे ढूँढना होता है.
कई बार प्रोडक्ट ख़रीदने के लिए आप उसके बारे में सर्च करते हैं तो इसका फ़ायदा उठा कर कंपनियाँ एक अर्जेंसी बना देती हैं. जैसे आपके दिखता है कि उसी प्रोडक्ट पर डील है जो कुछ ही देर में ख़त्म हो जाएगी. प्रोडक्ट पेज पर टाइमर चलता रहता और यूजर्स को ऐसा लगता है कि अगर जल्दी ऑर्डर नहीं किया तो ऑफर से वंचित रह जाएंगे.
आपको लग रहा होगा कि इसमें गलत क्या है. दरअसल, Dark Pattern Scam में कंपनियां ग्राहकों को मैनिपुलेट करती हैं, जिससे वो उनका प्रोडक्ट खरीद लेते हैं. कुछ हद तक ये जायज है, लेकिन कई बार इस तरह के स्कैम में ग्राहकों के पास बाहर निकलने का रास्ता नहीं होता है.
मसलन आप किसी वेबसाइट को सब्सक्राइबर करते हैं. सब्सक्रिप्शन का प्रॉसेस बहुत सिंपल होता है, लेकिन सब्सक्रिप्शन कैंसिल करने के प्रॉसेस को काफी मुश्किल बना दिया जाता है. इससे यूजर कई बार परेशान होकर सब्सक्रिप्शन कैंसिल नहीं कर पाता है. ये डार्क पैटर्न के गलत इस्तेमाल का एक उदाहरण है.
इसके अलावा आपने कई बारे नोटिस किया होगा कि ऑनलाइन शॉपिंग के वक्त आपको प्लेटफॉर्म पर EMI ऊपर नजर आती है. जबकि असली प्राइस को छोटा करके साइड कर दिया जाता है. ऐसे में किसी यूजर का पहला ध्यान EMI पर जाता है और उसे लगता है कि ये प्रोडक्ट सस्ते में मिल रहा है.
इस पैटर्न का इस्तेमाल कई बार कंपनियां अपने टार्गेट को अचीव करने के लिए करती हैं. अगर वक्त पर टार्गेट पूरा नहीं हो पाता है, तो कंपनियां लालच देकर या फिर कुछ ही यूनिट्स बची हैं, ऐसे बैनर लगाकर लोगों का ध्यान खींचते हैं. इसका मकसद वक्त पर कंपनी की सेल को पूरा करना है.
हाल में ही सरकार ने Dark Pattern Scam को लेकर सख्त हुई है. इस समस्या को हल करने के लिए सरकार सॉफ्टवेयर बेस्ड सॉल्यूशन तलाश रही है. इसके लिए एक हैकाथॉन का आयोजन किया गया है, जिसमें जीतने वाली 5 टीम्स को 10 लाख रुपये का इनाम दिया जाएगा. इसके साथ ही टीम्स को अचीवमेंट का सर्टिफिकेट भी मिलेगा.