Google के नए प्रोडक्ट Willow की चर्चा हर तरफ हो रही है. एलॉन मस्क भी इसे लेकर गूगल CEO सुंदर पिचाई से बातचीत कर रहे हैं. ऐसे में सवाल उठता है कि Google ने ऐसा क्या बना लिया है, जिसे लेकर हर कोई इतना रोमांचित है. हम बात कर रहे हैं गूगल Willow चिप की, जिसे कंपनी ने इस हफ्ते ही इंट्रोड्यूस किया है.
ये एक क्वांटम चिप है, जो मुश्किल से मुश्किल टास्क को कुछ ही मिनटों में कर सकता है. इस चिप की वजह से पैरेलल यूनिवर्स और मल्टीवर्स जैसे कॉन्सेप्ट पर भी चर्चा होने लगी है. माना जा रहा है कि भविष्य में ये चिप बहुत कुछ बदल सकता है.
गूगल विलो कंपनी का क्वांटम चिप है, जिसे नेक्स्ट जनरेशन चिप भी कहा जा रहा है. इस चिप को Saint Barbara स्थित कंपनी की क्वांटम लैब में तैयार किया गया है. ये चिप मुश्किल से मुश्किल मैथमेटिकल प्रॉब्लम्स को कुछ ही मिनटों में सॉल्व कर सकता है. ऐसे टास्क जिन्हें हल करने में आज से सुपर कंप्यूटर्स को ब्रह्मांड की उम्र से भी ज्यादा वक्त लगेगा, उन्हें ये चिप सिर्फ 5 मिनट में हल कर सकता है.
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इस चिप को इंट्रोड्यूस करते हुए गूगल CEO सुंदर पिचाई ने लिखा, 'ये विलो है, हमारा नया क्वांटम कम्प्यूटिंग चिप. इस चिप में हमने ज्यादा क्यूबिट्स का इस्तेमाल किया है, जिसकी वजह से गलतियों को कम किया जा सकेगा. ये क्वांटम फिल्ड की 30 साल की एक प्रॉब्लम को दूर करता है.'
इस चिप का इस्तेमाल क्वांटम कम्प्यूटिंग में होगा. गूगल ने बताया, 'आज के सबसे पावरफुल सुपर कंप्यूटर्स जिस काम को 10 सेप्टिलियन (10 के पीछे 25 जीरो लगाने पर जो नंबर आएगा) साल में करेंगे, उसे Willow सिर्फ 5 मिनट में कर सकता है.' 10 सेप्टिलियन इतनी बड़ी संख्या है कि एक ब्रह्मांड की उम्र इससे छोटी है.
क्वांटम कम्प्यूटिंग क्वांटम मैकेनिक्स के सिद्धांत पर काम करती है, जो ट्रेडिशनल कम्प्यूटर्स की क्षमताओं से परे किसी समस्या को हल कर सकते हैं. आसान भाषा में कहें, तो ट्रेडिशनल कम्प्यूटर्स बिट्स पर काम करते हैं. इसमें जानकारी को 0 या 1 के रूप से ही प्रॉसेस किया जाता है.
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वहीं क्वांटम कम्प्यूटिंग में क्यूबिट्स का इस्तेमाल होता है. इसमें 0 या 1 या दोनों एक साथ हो सकते हैं. इस प्रक्रिया को सुपरपोजिशन कहा जाता है. इन क्यूबिट्स की वजह से क्वांटम कम्प्यूटर्स कई कैलकुलेशन को एक साथ कर सकते हैं, जिससे मुश्किल और जटिल प्रॉब्लम्स को भी आसानी से सॉल्व किया जा सकता है.
Willow के जरिए गूगल ने जो किया वो बहुत महत्वपूर्ण है. हालांकि, इसकी एक बड़ी चुनौती, रियल लाइफ में इसके फायदों को दिखना है. गूगल का मानना है कि ये चिप AI, दवाओं, एनर्जी सिस्टम और फ्यूजन एनर्जी रिसर्च में काफी मदद करेगा.
माना जा रहा है कि AI के क्षेत्र में ये चिप बहुत मददगार साबित होगा. एक AI मॉडल को ट्रेन करने के लिए हमें उसे बहुत सारा डेटा देना होता है. इस मामले में क्वांटम कंप्यूटर्स मददगार साबित हो सकते हैं क्योंकि ये डेटा को ज्यादा तेजी से कंप्यूट कर सकते हैं.
दरअसल, क्वांटम कंप्यूटिंग में एक बड़ी चुनौती गलती की होती है. यहां क्यूबिट्स का असर एक दूसरे पर पड़ता है. ऐसे में किसी भी क्यूबिट में कोई दिक्कत आने पर पूरी कैलकुलेशन ही गड़बड़ हो जाएगी. वहीं दूसरी तरफ जितनी ज्यादा क्यूबिट्स का इस्तेमाल होगा, उतना ही गलती होने का रिस्क बढ़ता है.
गूगल ने बताया है कि उन्होंने इस चिप में 105 क्यूबिट्स का इस्तेमाल किया है. इन क्यूबिट्स के साथ Willow दो बेंचमार्च- क्वांटम एरर करेक्शन और रैंडम सर्किट सैंपलिंग में बेस्ट इन-क्लास परफॉर्मेंस दे रही है.