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एस्ट्रो अंकल: कुशा ग्रहिणी अमावस्या पर कैसे मिलगा प‍ितरों का महावरदान?

एस्ट्रो अंकल: कुशा ग्रहिणी अमावस्या पर कैसे मिलगा प‍ितरों का महावरदान?

एस्ट्रो अंकल आज आपको बताएंगे कुशा ग्रहिणी अमावस्या की महिमा और महत्व के बारे में. भाद्रपद मास की कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि को कुशा ग्रहिणी अमावस्य मनाई जाएगी. अमावस्या तिथि के देवता पितृदेव होते हैं उनकी प्रसन्नता के लिए अमावस्या पर पीपल के वृक्ष की प्रदक्षिणा की जाती है. पीपल के वृक्ष पर कच्चे दूध में काला तिल और गंगाजल मिलाकर पितरों की पूजा अर्चना तर्पण आदि किया जाता है. कुशा ग्रहिणी अमावस्या पर पूजा पाठ में सुबह के समय दाएं हाथ से कुशा को जड़ से उखाड़ कर पूजा में इस्तेमाल किया जाता है. कुशा ग्रहिणी अमावस्या पर पितरों की पूजा अर्चना करके घर में कलह क्लेश बीमारी और नकारात्मकता को हमेशा के लिए खत्म किया जा सकता है.

Today in Astro Uncle we will tell you about the glory of Kushagrahani Amavasya. Kushagrahani Amavasya is celebrated on Chaturthi Krishna Paksha in the month of Bhadrapad. This is a two day festival and celebrated with people around the country with full faith and fervor. The first day celebration is also known as Choti Dagyali, and the second is Badi Dagyali. Watch Astro Uncle.

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