हाथरस की बेटी नहीं रही. उस बेटी को इंसाफ दिलाने के लिए आज हम सब सामने हैं. हम उसके इंसाफ की सशक्त लड़ाई लड़ेंगे. हम ऐसा इसलिए कह रहे हैं क्योंकि हाथऱस मामले में सबकुछ ठीक नहीं है. पीड़ित परिवार के घर तक किसी को जाने की इजाजत नहीं है. परिवार पुलिस के पहरे में है. मीडिया पर भी रोक है. जो भी मिलने की कोशिश कर रहा है उससे बदसलूकी हो रही है. पुलिस बल प्रयोग हो रहा है. ऐसे में सवाल ये उठता है कि आखिर क्या छिपाया जा रहा है? क्या है जिसे दबाने की कोशिश हो रही है? और क्या इसको लेकर सियासत होनी चाहिए? हाथरस पर सबका ध्यान है. बारां और बलरामपुर मसले पर सबने चुप्पी क्यों साध रखी है?