किस्मत कनेक्शन में आज आपको बताएंगे आठ पहर के बारे में. प्रथम पहर संध्याकाल 6 से 9 तक होता है, इसको रात का प्रथम पहर भी कहते हैं. इस पहर को सतोगुणी पहर कहा जाता है, इसमें पूजा-उपासना का विशेष महत्व होता है. इस पहर में भोजन करना और सोना वर्जित है, इस पहर में जन्म लेने वालों को आमतौर पर आंखों और हड्डियों की सामस्या होती है.