कहते हैं कि शक की दवाईं हकीम के पास भी नहीं होती. ये एक ऐसी आग है जो अगर रिश्तों में लग जाए तो रिश्ते धीरे-धीरे जल जाते हैं. आखिर क्यों जिंदगी में आ जाता है ये शक.