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मैं भाग्य हूं: सिर्फ पैसों से ही नहीं पूरी हो जाती जरूरतें

मैं भाग्य हूं: सिर्फ पैसों से ही नहीं पूरी हो जाती जरूरतें

हमें लगता है कि हमारा जीवन सिर्फ हमारे लिए जरूरी है लेकिन असल में हमसे जुड़े लोगों को भी हमसे फर्क पड़ता है. व्यक्ति दिन भर दौड़-भाग करता है ताकि पैसे कमा सके लेकिन सिर्फ पैसे से ही उसके करीबियों को खुशी नहीं मिल जाती.

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