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संजय सिन्हा की कहानी: उम्मीद है तो जिंदगी है

संजय सिन्हा की कहानी: उम्मीद है तो जिंदगी है

भय मुझे भयभीत नहीं करता और आतंक मुझमें खौफ नहीं पैदा करता. मैं उम्मीदों से भरा हुआ हूं. नाउम्मीदी के हर अंधकार से गुजरने के बाद भी मैंने उम्मीद का दामन कभी नहीं छोड़ा. मैं इस सच को जानता हूं कि 'उसके' आगे किसी की नहीं चलती. फिर भी उम्मीद को जीता हूं. उम्मीद है, तभी ज़िंदगी है.

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