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संजय सिन्हा सुना रहे हैं कहानी घर-घर की

संजय सिन्हा सुना रहे हैं कहानी घर-घर की

मैं अपनी साली के घर से कहानी लेकर आपके पास आया हूं. जब कभी मैं अपनी साली के घर जाता हूं तो वह हमारे स्वागत की तैयारी में लग जाती है. रसोई में चली जाती है. मुझे अच्छे-अच्छे से अच्छा खाना खिलाने की जुगत में लग जाती है. यही मेरी पत्नी करती है और यही मेरी सास. मैंने इनसे कई बार कहा है कि मेहमानों का स्वागत ठीक है लेकिन उनके स्वागत के लिए अधिक मेहनत ठीक नहीं.

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