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संजय सिन्हा की कहानी: क्या तकलीफ होने पर ही लोग आपको याद करते हैं?

संजय सिन्हा की कहानी: क्या तकलीफ होने पर ही लोग आपको याद करते हैं?

हम अपने कुछ रिश्तों को अक्सर जरूरतों के वक्त याद करते हैं. बाकी के वक्त वह रिश्ते घर के कोने में पड़े रह जाते हैं. कई बार ये सब हम जानबूझकर करते हैं और बार अनजाने में भी हो जाता है. अपने बारे में तो हम कई बार सोचते हैं, लेकिन उनके बारे में नहीं सोचते जिनकी वज‍ह से हम कुछ बन सके हैं. हम उन्हें बहुत कम याद करते हैं जो हमारी जिंदगी की नींव होते हैं. हम उन्हें बहुत याद करते हैं जिनकी वजह से हमें तकलीफ होती है, लेकिन जिनकी वजह से हम खुश है उन्हें याद नहीं करते हैं. इस बात को बेहतर तरीके से समझने के लिए सुनें संजय सिन्हा की आज की कहानी.

We often remember some of our relationships when we need them. During the rest, the relationships remain in the corner of the house. Many times we deliberately do this and sometimes in an unknown way. We miss them very little which are the foundation of our lives. We miss them very much because of which we have trouble. To understand this thing better, listen to story of Sanjay Sinha.

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