संजय सिन्हा सुना रहे हैं अपनी दादी की कहानी कि उनकी दादी कितनी आत्मीय और सहज थीं. वह कैसे मेले में मिलने वाली बुढ़िया मिठाई के हाथ में आते ही दादी की कल्पना करने लगते, और कैसे कोई बहू अपने सास की मौत की कल्पना करती है. कैसे एक बच्चा अपनी दादी से टें बोलने को कहता है.