मामा का ट्रांसफर दिल्ली से भोपाल हो गया था. यहां सीबीआई में उनका टर्म पूरा हो चुका था. हम लोग कार से भोपाल के लिए निकले. एक रात हम शिवपुरी में रुके, दूसरी सुबह हम भोपाल पहुंचे. अभी सरकारी क्वार्टर नहीं मिला था, तो हमें पुलिस मेस में रहना था. मामा राज्य आर्थिक अपराध शाखा में डीआईजी बनकर लौटे थे. सुबह-सुबह हम सभी को अखबार पढ़ने की आदत थी. एक साथ कई अखबार हमारे पास आते थे. पर उस दिन एक अखबार नहीं आया. इसके बाद जो खुलासा हुआ, वो हैरान करने वाला था.