मेरा एक साथी कल दोपहर के खाने पर मुझसे कह रहा था कि संजय सर इस बार लगातार तीन दिनों की छुट्टी में मैं बुरी तरह ऊब गया. एक समय तो लगने लगा कि कहीं निकल जाऊं, पर निकल नहीं पाया. आप भी दिल्ली में नहीं थे, नहीं तो मैं आपके पास ही चला आता. “क्यों, घर में मन क्यों नहीं लगा? अच्छा था, लगातार तीन दिन परिवार के बीच रहने का मौका मिला.” “नहीं सर, तीन दिन बिना किसी काम के घर में रहना बहुत खल गया. पत्नी लगातार ताने दे रही थी कि कहीं घुमाते नहीं. पर कहां जाते हम? हर हफ्ते तो जाते हैं. कितनी बार जाएं? यहां कोई सोशल सर्किल तो है नहीं, लाल किला, कुतुब मीनार, चिड़िया घर सब हज़ार बार देख आए. पिछले हफ्ते ही मॉल में पूरा दिन गुजरा. अब कितना बाहर जाएं, कहां घूमने जाएं?” कहानी का मर्म जानने के लिए देखिए पूरा वीडियो.....