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संजय सिन्हा की कहानी: जहां दिल नहीं वहां कुछ नहीं

संजय सिन्हा की कहानी: जहां दिल नहीं वहां कुछ नहीं

लंच के बाद मेरे एक परिचित जेब से लाइटर निकाल कर सिगरेट सुलगाने की कोशिश कर रहे थे. लाइटर का बटन वो बार- बार ऊपर नीचे कर रहे थे लेकिन लाइटर जल नहीं रहा था, मेरे परिचित झुंझला रहे थे वो बात- बात पर झुंझलाते हैं जिसके कारण उनकी किसी से नहीं बनती. कई लोगों को खाना खाने के बाद सिगरेट पीने की आदत होती है और ऐसे में सिगरेट नहीं जले तो गुस्सा तो आएगा ही. देखें- 'संजय सिन्हा की ये कहानी' का ये पूरा वीडियो.

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