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संजय सिन्हा की कहानी: जिंदगी में होने चाहिए अलग- अलग रंग

संजय सिन्हा की कहानी: जिंदगी में होने चाहिए अलग- अलग रंग

मैं भोपाल से दिल्ली आ गया था और यहां मुझे अखबार में नौकरी मिल गई थी. नौकरी मिलने के बाद पहली बार कनॉट प्लेस गया था. वहां मैंने वाटा से एक रेडिमेड शर्ट खरीदी थी. ऐसा नहीं है कि वहां और कोई दुकान नहीं थी, लेकिन बचपन में पिताजी मुझे जूते दिलवाने बाटा की दुकान में लेकर जाते थे और वहां मैं खुद को बहुत सहज पाता था. मुझे लगता था कि बाटा ही दुनिया की सबसे दुकान है. देखें- 'संजय सिन्हा की कहानी' का ये पूरा वीडियो.

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