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संजय सिन्‍हा की कहानी: वो भाव जिसका पुरुषों में अभाव है

संजय सिन्‍हा की कहानी: वो भाव जिसका पुरुषों में अभाव है

आपकी नींद खुले और बगल में सो रही पत्नी वहां न हो तो आप क्या-क्या सोच सकते हैं? आप सोच सकते हैं कि वो सुबह जल्दी तैयार होने चली गई होगी. वो आपके लिए अभी चाय लेकर आ रही होगी. अलग-अलग घरों में अलग-अलग सोचने का स्कोप है. पर हमारे यहां ये स्कोप सीमित है.

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