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संजय सिन्‍हा की कहानी: हम कब तक चोर को सिपाही मानेंगे?

संजय सिन्‍हा की कहानी: हम कब तक चोर को सिपाही मानेंगे?

स्‍कूलों में पढ़ाई नहीं होती, क्योंकि स्कूल के मास्टर खुद ही चाहते हैं कि बच्चे कोचिंग सेंटर जाएं. इससे दो फायदे हैं. पहला तो ये कि स्कूल पर लोड कम. मास्टर पढ़ाने से बच गए और सैलरी पूरी मिली. दूसरा फायदा ये कि यही शिक्षक प्राइवेट कोचिंग में पढ़ाते हैं और अलग से मोटी रकम वसूलते हैं. संजय सिन्हा आज आपसे एक सवाल पूछ रहे हैं. जवाब ज़रूर दीजिएगा. सवाल ये कि हम कब तक चोर को सिपाही मानने की गलती रहेंगे?

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