संजय सिन्हा आज वक्त के गुजरने की कहानी सुना रहे हैं. कैसे जीवन में हम वक्त की कमी के चलते अपनों को ही भूल जाया करते हैं. जिन से हम प्यार करते हैं हमारे से उनसे चार बातें करने की भी फुर्सत नहीं होती. रोज हम घर से दफ्तर और दफ्तर से घर में उलझे रहते हैं और ऐसे में हमारा बेशकीमती वक्त कहीं गुजरता चला जाता है. इसलिए जरूरत है कि हम सही जमय पर सजग हो जाएं और अपनों के लिए भी कुछ वक्त जरूर निकालें ताकि उन्हें भी आपसे कोई शिकायत न रहे.