संजय सिन्हा आज आंसुओं से जुड़ी एक मार्मिक कहानी सुना रहे हैं. आमतौर पर हम अपने बच्चों के सिखाते हैं कि रोना नहीं चाहिए रोते कमजोर लोग हैं. लेकिन इसके ठीक उलट संजय सिन्हा की मां कहा करती थीं कि रो वही सकता है जिसकी भीतर भावनाएं होंगी. दर्द सहन करना एक बात है और दर्द को महसूस करना दूसरी बात. इसलिए अपने भीतर की भावनाओं को जीवित रखने के लिए दर्द होने पर रोना कोई बुरी बात नहीं है इसी के जरिए आप दूसरों का दर्द को महसूस भी कर सकते हैं.