बचपन में हम सब कई कहानियां सुनते हैं. बड़े होने पर उसे बिल्कुल वैसे ही किसी और को भी सुना देते हैं लेकिन फायदा तब है जब हर कहानी को आत्मसात कर लिया जाए.