हम बहुत सी चीजें इकट्ठी करते हैं, बिना ये सोचे कि क्या वाकई उन चीजों की जरूरत है. इंसान को चीजों की बजाए अपनी यादों और रिश्तों को जमा करना चाहिए. सुनें संजय सिन्हा की कहानी.