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संजय सिन्हा की कहानी: गुदड़ी में ज्ञान

संजय सिन्हा की कहानी: गुदड़ी में ज्ञान

कल दोपहर मैं घर आया तो सामने रद्दी अखबार के ढेर लगे थे. एक आदमी उन्हें बिना तौले हुए बोरे में भर रहा था. पिछले काफी दिनों से, मुझे नहीं पता, लेकिन पहले हमारे घर के रद्दी अखबार एक आदमी ले जाता था और उसके बदले में वो हमें पैसे देता था. इन दिनों रद्दी से मिलने वाले पैसा का पता नहीं लेकिन पहले वो इमरजेंसी के लिए हमारे लिए बहुत बड़ी रकम हो जाती थी, पूरी कहानी के लिए वीडियो देखें.

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