कभी-कभी हर व्यक्ति को अपनी जिंदगी में पीछे मुड़कर देखना चाहिए और यह सोचना चाहिए कि हम कहां के लिए निकले थे और कहां पहुंच गए. संजय सिन्हा की मां ने पहला अध्याय यही सिखाया था कि बेटा तुम जीवन में कुछ बनो या न बनो, पर एक अच्छा इंसान जरूर बनना. इनकी मां का मानना था कि एक अच्छा आदमी बने बिना जिंदगी का कोई अर्थ नहीं है. संजय सिन्हा अपनी मां का यह पाठ कभी भूले नहीं. संजय सिन्हा की जुबानी सुनिए आगे की पूरी कहानी.