रिश्ते पत्तों की तरह नहीं, जड़ की तरह होने चाहिए. पेड़ के साथ पत्तों का रिश्ता एक मुसाफिर से अधिक कुछ नहीं होता.पेड़ का असली रिश्ता तो जड़ से है, तना से है, टहनियों से है. पत्ते आते हैं, जाते हैं.जड़, तना और टहनियां जीवन भर पेड़ का साथ देती हैं. आज के ज़माने में किसी संयुक्त परिवार का रिश्ता कैसे निभ सकता है. पर इस कहानी को सुनकर आपको समझ में आएगा कि रिश्ते अगर जड़, तना और टहनियों की तरह हों तो सब निभ जाता है. पर पत्तों के रिश्तों की मियाद कम होती है. आप भी अपने रिश्तों को जड़, तना और टहनियों की तरह संजो कर रखें. पत्तों से रिश्ते हवा के झोंके से गिर जाते हैं.
Story teller Sanjay Sinha tells you a touching story of relationship in his special episode Sanjay sinha ki kahani. According to the writer we must nurture a relationship like root of a tree and not like leaves. He says that a leaf's place in a tree life is for sometimes, But the root, the branches stays there till the tree stands himself.