संजय सिन्हा सुना रहे हैं उनके मोहल्ले में रहने वाले एक इंजीनियर और उनके परिवार की कहानी कि कैसे इंजीनियर साब के धनी होने की वजह से उनका जबरजस्त रुतबा था. कैसे जिन दिनों किसी के पास साइकिल और राजदूत नहीं हुआ करती थी और उनके घर के बाहर एम्बैसडर कार खड़ी रहती थी. वे कैसे इंजीनियर साब के बच्चे के साथ खेला करते और जब एक दिन किन्हीं अखबार में इंजीनियर साब का नाम रिश्वत में उछला तो पूरे समाज ने उन्हें बहिष्कृत करना शुरू कर दिया. कैसे किसी जमाने में रिश्वत और दलाली को खराब नजरों से देखा जाता था और आज वह सबकुछ स्वीकार किया जाने लगा है.