संजय सिन्हा आज एक हृदय विदारक कहानी सुना रहे हैं. ये कहानी एक पिता की है जिसने अपने बेटे की पढ़ाई-लिखाई के लिए अपनी नौकरी, पैसा और पूरा जीवन खपा दिया, यहां तक कि अपनी किडनी की बीमारी का इलाज भी नहीं कराया.मुश्किल वक्त में जब आज पिता पटना के एक अस्पताल में जिंदगी की जंग लड़ रहा है तो वह बेटा विदेश में पैसा कमाने में व्यस्त है. उसे अपने पिता का जरा भी ख्याल नहीं आया. संजय के मन में एक सवाल बार-बार आ रहा है कि आखिर दुनिया ऐसी क्यों है?