संजय सिन्हा सुना रहे हैं दूरदर्शन में कार्यरत एक बड़े अफसर की कहानी कि कैसे उन्होंने अपने बच्चे को ऊंची तालीम तो दी लेकिन रिश्तों और वास्तविकता से परे रखा. कैसे उन्होंने उसे दुनिया के पटल पर छा जाने के लिए तो तैयार किया लेकिन खुद के परिवार के साथ रहने की ट्रेनिंग नहीं दी. कैसे वे अंतिम दिनों में बिल्कुल अकेले हो गए.