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संजय सिन्हा की कहानी: शरीर चला जाता है, कर्म जिंदा रहता है

संजय सिन्हा की कहानी: शरीर चला जाता है, कर्म जिंदा रहता है

मां मुझे राजा-रानी की कहानियां सुनाती थी. एक राजा था, बहुत प्रतापी. जनता उसके गुण गाया करती थी. कई साल बाद राजा बूढ़ा हो गया, फिर बीमार पड़ा और उसकी मृत्यु हो गई. मां, राजा क्यों मर गया? एक दिन सभी को जाना होता है, संजू बेटा. मैंने पूछा क्यों मां? मां ने कहा कि बेटा मृत्यु अटल है. देखें- ये पूरा वीडियो.

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