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संजय सिन्हा की कहानी: हमेशा याद रखें रिश्तों का अध्याय

संजय सिन्हा की कहानी: हमेशा याद रखें रिश्तों का अध्याय

कल मैं अपनी सास से मिलने उनके घर गया था. मेरी सास दिल्ली में ही रहती हैं. पहले मैं भी उसी मुहल्ले में रहता था जहां मेरी सास का घर है. लेकिन तीन साल से मैं वहां से दस किलोमीटर दूर नए घर में शिफ्ट हो चुका हूं. मैं जब नए घर में शिफ्ट हो रहा था, तो मैंने अपनी सास से बहुत बार अनुरोध किया था कि आप भी वहीं चलिए. हम सब लोग साथ-साथ रहेंगे. घर बड़ा है, रहने वाले दो ही लोग हैं, आप भी रहेंगी तो हमें अच्छा लगेगा. देखें- क्या है संजय सिन्हा की ये पूरी कहानी.

Sanjay Sinha Ki Kahani

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