पूरी ज़िंदगी एक मकान बनाने में कट जाती है. इतना बड़ा मकान बनाते हुए लोग यह सोचते भी नहीं कि एक दिन उनका बेटा पढ़कर किसी और शहर में जा बसेगा. ऐसे लोग अपना मकान बनवाते हुए बहुत दूर तक नहीं देखने की भूल कर देते हैं. अच्छी पढ़ाई करने के बाद बेटे के पास अपने शहर में कोई नौकरी ही नहीं मिली, तो वह दूर शहर में जा बसता है. ऐसे में मां-बाप को बुढ़ापे में बड़े से घर में अकेले रहना पड़ता है. अब सवाल यह है कि इस समस्या का समाधान क्या है? इस पर संजय सिन्हा घर नहीं खरीदने