scorecardresearch
 
Advertisement

संजय सिन्हा के पत्रकार बनने की दिलचस्प कहानी

संजय सिन्हा के पत्रकार बनने की दिलचस्प कहानी

जब मैं पत्रकार बन गया तो मेरी दादी ने मुझसे पूछा था कि कितनी सैलरी मिलेगी? दादी की चिंता इतनी ही थी कि उनके बेटे के बेटे को कितने पैसे हर महीने मिलेंगे. इतने पैसे तो मिलेंगे न जिसमें उसका परिवार ठीक से पल जाए. दादी की चिंता जायज़ थी. जिन दिनों संजय सिन्हा ने पत्रकार बनने का फैसला लिया था, उन दिनों पत्रकार वही बनते थे, जो कुछ और नहीं कर सकते थे. अस्सी के दशक में हिंदी पत्रकारिता में अधिकतर लोग वही आए थे, जो जेपी आंदोलन के नाकाम सिपाही थे. उनकी पढ़ाई बीच में छूट गई थी और वो आईएएस, आईपीएस या कोई दूसरी महान नौकरी में जाने की योग्यता खो चुके थे, तो पत्रकारिता में चले आए. सुनिए पूरी कहानी.......

Advertisement
Advertisement