कैबिनेट ने लोकपाल बिल के मसौदे को मंजूरी तो दे दी, लेकिन ये बिल अन्ना हजारे के सपनों के बिल से अलग है. कई अहम मुद्दों पर सिविल सोसाइटी की मांगों और सिफारिशों को दरकिनार कर दिया गया है. जाहिर तौर पर भ्रष्टाचार के खिलाफ झंडा बुलंद करने वाले अन्ना हजारे और उनकी टीम इस बिल से बेहद नाराज हैं.