आसाराम और उनकी चालबाज़ चौकड़ी ने बेशक धर्म का लबादा ओढ़ रखा हो, लेकिन उनके बातचीत का तौर-तरीका ही अक्सर उनकी असलियत की चुगली कर जाता है. फिर चाहे वो आसाराम हो, नारायण साईँ या फिर उनके चेले. अश्लील और छिछली बातों से इनमें से कोई भी परहेज़ नहीं करता.