जब जब लगता है कि किसान अब थक गए हैं और कृषि कानून के खिलाफ उनकी लड़ाई कमजोर पड़ चुकी है, तब-तब किसान नए सिरे से ताकत बटोरकर सामने आ जाते हैं. सरकार ने किसानों को दिल्ली आने से रोका तो किसान गांव गांव पहुंच गए. अब हाल ये है कि किसानों ने महापंचायतें करके सरकार की नाक में दम कर दिया है. किसानों ने अब सीधे बीजेपी के वोट पर चोट की रणनीति बनाई है. किसान अब उन राज्यों में जा रहे हैं, जहां चुनाव हैं. किसानों ने साफ कहा है कि वो अब खुलकर बीजेपी का विरोध करेंगे. जाहिर है किसानों की ये रणनीति बीजेपी को चुभ गई है. ऐसे में सवाल है कि क्या अब किसानों ने टकराव का रास्ता पकड़ लिया है? या फिर उन्हें इस रास्ते पर चलने के लिए मजबूर कर दिया गया है? देखें तेज मुकाबला.