साईं बाबा ने अपने गुरु की निशानियों को हमेशा सहेजकर रखा था. बाबा के गुरु की खड़ाऊं, चिलम और माला को बाबा के समाधी लेने के बाद भी संभाल कर रखी गई हैं.