लोकसभा में 20 दिसंबर 2023 को तीन आपराधिक कानून - भारतीय न्याय (द्वितीय) संहिता, भारतीय नागरिक सुरक्षा (द्वितीय) संहिता और भारतीय साक्ष्य (द्वितीय) विधेयक पारित किया गया. केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने लोकसभा में तीन नए क्रिमिनल लॉ बिल पर चर्चा की (3 Criminal Law).
नए क्रिमिनल लॉ बिल के तहत अब रोड रेज या सड़क पर एक्सीडेंट करके फरार होने के जुर्म में 10 साल तक कैद की सजा का प्रावधान है. वहीं, अगर एक्सीडेंट करने वाला शख्स घायल व्यक्ति को हॉस्पिटल पहुंचाता है, तो उसकी सजा कम की जा सकती है. साथ ही, मॉब लिंचिंग को एक जघन्य अपराध माना गया है, इन कानूनों में इसके लिए मौत की सजा का प्रावधान है. राजद्रोह की परिभाषा को बदलते हुए 'राजद्रोह (सरकार के खिलाफ अपराध)' से बदलकर 'देशद्रोह (राष्ट्र के खिलाफ अपराध) कर दिया गया है. भारतीय दंड संहिता की धारा 124 या राजद्रोह कानून को निरस्त कर दिया गया है.
इस तीन नए क्रिमिनल लॉ बिल के तहत कुछ नए नियमों को जोड़ा गया है जिसमें यौन हिंसा के मामलों में बयान महिला न्यायिक मजिस्ट्रेट ही करेगी, देशभर में जीरो एफआईआर की शुरुआत होगी, FIR दर्ज करने की इलेक्ट्रॉनिक सुविधा शुरू करना, 3 साल से अधिक और 7 साल से कम की सजा पाने वाले अपराधों में प्रारंभिक जांच शुरू करना, दोषमुक्ति के मामलों में जमानत को सरल बनाना और पहली बार अपराधी को प्ली बार्गेनिंग में कम सजा देना शामिल है.
खाने पीने की चीजों को लेकर उत्तर प्रदेश सरकार के पुराने आदेशों पर भले विवाद हुआ हो, लेकिन नया अध्यादेश बेहद जरूरी लगता है. नये अध्यादेश में खाने पीने की चीजों में थूक मिलाना गैर-जमानती अपराध माना जाएगा.
नए कानूनों पर विपक्ष क्या सवाल उठा रहा है? जानें- क्यों उसे भारत के 'पुलिस स्टेट' बनने का है डर.
नए आपराधिक कानून आज से देशभर में लागू हो गए हैं. भारतीय न्याय संहिता, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता और भारतीय साक्ष्य अधिनियम ब्रिटिशकाल के भारतीय दंड संहिता, आपराधिक प्रक्रिया संहिता और भारतीय साक्ष्य अधिनियम की जगह लेंगे. छह अपराधों में सजा के तौर पर कम्युनिटी सेवा का प्रावधान किया गया है.
भारत में 1 जुलाई 2024 से लागू हुए 3 नए आपराधिक कानूनों (3 New Criminal Laws) में क्या है खास? जानिए कितना बदल गया भारत का कानून. देखें वीडियो.
देशभर में 1 जुलाई 2024 से तीन नए आपराधिक कानून लागू हो गए हैं. 51 साल पुराने CrPC की जगह लेगी भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता यानी BNSS. भारतीय दंड संहिता की जगह लेगा भारतीय न्याय अधिनियम यानी BNS, और इंडियन एविडेंस एक्ट की जगह भारतीय साक्ष्य अधिनियम यानी BSA के प्रावधान लागू होंगे.
भारत में तीन नए क्रिमिनल लॉ लागू हो चुके हैं. जानिए क्या-क्या बदलाव हुए.
नए आपराधिक कानून संसद के पिछले सत्र में ही पारित हो गए थे, लेकिन इन्हें अब एक जुलाई से लागू किया गया है. जानें नए कानून में ऐसे कौन से प्रावधान हैं जिनका सीधा असर आम लोगों पर होगा.
छोटे-मोटे अपराधों के लिए गिरफ्तार किए गए लोगों को सजा के तौर पर सामुदायिक सेवा करनी होगी.
नए आपराधिक कानून आज से देशभर में लागू हो गए हैं. भारतीय न्याय संहिता, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता और भारतीय साक्ष्य अधिनियम ब्रिटिशकाल के भारतीय दंड संहिता, आपराधिक प्रक्रिया संहिता और भारतीय साक्ष्य अधिनियम की जगह लेंगे. छह अपराधों में सजा के तौर पर कम्युनिटी सेवा का प्रावधान किया गया .
भारत में 1 जुलाई 2024 से तीन नए आपराधिक कानून लागू हो गए हैं. जानिए इन कानूनों में कितनी धाराएं होंगी.
भारत के क्रिमिनल जस्टिस सिस्टम को लेकर कुछ बड़े बदलाव होने जा रहे हैं. एक जुलाई से भारत में तीन ऐसे नए क्रिमिनल लॅा लागू हो जाएंगे, जिसका सीधा असर जुर्म करने वाले अपराधियों पर पड़ेगा. इसके साथ ही संपत्ति जब्त करने से जुड़े भी नियम बदलने वाले हैं. देखें वीडियो.
देश के आपराधिक कानून में कुछ बदलाव हुए हैं. इसके तहत, अब CRPC की जगह, अब BNSS यानी भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता लागू की जाएगी.
देश में 1 जुलाई से लागू हुए 3 नए अपराधिक कानून को लेकर अमित शाह ने कहा कि मॉब लिचिंग में बदलाव को लेकर काफी समय से मांग चल रही थी, अब मॉब लिचिंग पर फांसी की सजा होगी. देखिए VIDEO
देश के गृहमंत्री अमित शाह ने प्रेस कांफ्रेंस कर तीन नए कानूनों के बारे में समझाया. इस दौरान उन्होंने कहा कि यह न्याय व्यवस्था का भारतीयकरण है. गृहमंत्री ने आगे कहा कि इसमें महिलाओं और बच्चों को प्राथमिकता दी गई है.
देश में 1 जुलाई से लागू हुए 3 नए अपराधिक कानून को लेकर अमित शाह ने कहा कि सही मायने में न्याय व्यवस्था का भारतीयकरण अब हुआ है. अमित शाह ने कहा कि हमारा कानून अब पूर्णत: स्वदेशी हो रहा है. देखिए VIDEO
भारतीय न्याय संहिता, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता और भारतीय साक्ष्य अधिनियम आज यानी 1 जुलाई से प्रभावी हो गए हैं. इन कानूनों ने अंग्रेजों के जमाने से चले आ रहे भारतीय दंड संहिता (आईपीसी), दंड प्रक्रिया संहिता और 1872 के भारतीय साक्ष्य अधिनियम की जगह ली है. भारतीय दंड संहिता से लेकर भारतीय न्याय संहिता तक में बदलाव किए गए हैं. अब इलेक्ट्रानिक कम्युनिकेशन के जरिए सूचना दिए जाने पर भी FIR लिखी जा सकेगी. अगर ई-FIR दर्ज करवाई जाती है तो तीन दिन के भीकर पीड़ित को थाने जाना होगा.
तीन नए आपराधिक कानून भारतीय न्याय संहिता, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता और भारतीय साक्ष्य अधिनियम सोमवार से पूरे देश में लागू हो गए हैं. इन कानूनों ने भारतीय दंड संहिता, आपराधिक प्रक्रिया संहिता और भारतीय साक्ष्य अधिनियम की जगह ली है. नए कानून लागू होने से ना सिर्फ धाराएं बदल गई हैं, बल्कि कई प्रावधानों की परिभाषा भी बदल गई है.
1 जुलाई यानी आज से काफी कुछ बदलने वाला है. सबसे बड़ा बदलाव क्रिमिनल जस्टिस में देखने को मिलेगा. आज से 1860 में बनी आईपीसी की जगह भारतीय न्याय संहिता, 1898 में बनी सीआरपीसी की जगह भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता और 1872 के इंडियन एविडेंस एक्ट की जगह भारतीय साक्ष्य अधिनियम लेगी. देखिए VIDEO
1 जुलाई यानी आज से काफी कुछ बदलने वाला है. सबसे बड़ा बदलाव क्रिमिनल जस्टिस में देखने को मिलेगा. आज से आईपीसी की जगह भारतीय न्याय संहिता, सीआरपीसी की जगह भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता और इंडियन एविडेंस एक्ट की जगह भारतीय साक्ष्य अधिनियम लेगी.इन कानून को लेकर विपक्ष विरोध कर रहा है. देखिए VIDEO
CRPC में जहां कुल 484 धाराएं थीं वहीं भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (BNSS) में 531 धाराएं हैं. इसमें ऑडियो-विडियो यानी इलेक्ट्रॉनिक तरीके से जुटाए जाने वाले सबूतों को प्रमुखता दी गई है. वहीं, नए कानून में किसी भी अपराध के लिए जेल में अधिकतम सजा काट चुके कैदियों को प्राइवेट बॉण्ड पर रिहा करने का प्रावधान है.
भारत में तीन नए क्रिमिनल लॉ लागू होने जा रहे हैं. एक जुलाई से तीनों नए कानून लागू हो जाएंगे. जानिए इसमें क्या प्रावधान हैं. देखें वीडियो.