4G
4G ब्रॉडबैंड सेलुलर नेटवर्क (Broadband Cellular Network) तकनीक की चौथी जनेरेशन है (Fourth Generation), जो 3G के बाद और 5G से पहले की है. 4G सिस्टम को IMT एडवांस्ड में ITU भी कहा जा रहा है. अभी के अनुप्रयोगों में संशोधित मोबाइल वेब एक्सेस, आईपी टेलीफोनी, गेमिंग सेवाएं, हाई-डेफिनिशन मोबाइल टीवी, वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग और 3 डी टेलीविजन शामिल हैं.
हालांकि, दिसंबर 2010 में आईटीयू ने लॉन्ग टर्म इवोल्यूशन (LTI), माइक्रोवेव एक्सेस के लिए वर्ल्डवाइड इंटरऑपरेबिलिटी (WiMAX) और इवॉल्व्ड हाई स्पीड पैकेट एक्सेस (HSPA+) को शामिल करने के लिए 4जी की अपनी एक परिभाषा का विस्तार किया.
पहली-रिलीज WiMAX मानक 2006 में दक्षिण कोरिया में व्यावसायिक रूप से लगया गया था और तब से इसे दुनिया के अधिकांश हिस्सों में इसे तैनात किया गया है.
पहली रिलीज LTE मानक 2009 में ओस्लो, नॉर्वे और स्टॉकहोम, स्वीडन में व्यावसायिक रूप से लगया गया था, और तब से इसे दुनिया के अधिकांश हिस्सों में तैनात किया गया है. हालांकि, इस पर बहस हुई है कि क्या पहले-रिलीज संस्करणों को 4G LTE माना जाना चाहिए. 4G वायरलेस सेलुलर मानक को अंतर्राष्ट्रीय दूरसंचार संघ (ITU) ने इसे पेश किया था और यह मानक की प्रमुख विशेषताओं को निर्दिष्ट करता है, जिसमें ट्रांसमिशन तकनीक और डेटा गति शामिल है (Data Speed).
वायरलेस सेलुलर तकनीक की सभी जेनेरेशन ने बढ़ी हुई बैंडविड्थ स्पीड और नेटवर्क क्षमता को पेश किया है. 4G उपयोगकर्ताओं को 100 Mbit/s तक की स्पीड प्राप्त होती है (Bandwidth Speeds of 4G), जबकि 3G ने केवल 14 Mbit/s की अधिकतम स्पीड का वादा किया था (Bandwidth Speeds of 3G).
Will 5G Work On 4G Phones: भारत में 5G सर्विसेस लॉन्च हो गई हैं. ऐसे में बहुत से लोगों के मन में सवाल है कि क्या उनके पुराने 4G स्मार्टफोन बेकार हो जाएंगे या टेलीकॉम सर्विस यूज करने के लिए नया स्मार्टफोन खरीदना होगा. ऐसे ही कुछ सवाल के जवाब हम आपके लिए लेकर आए हैं. आइए जानते हैं 5G के लिए क्या जरूरी है और क्या नहीं.