अभय चौटाला (Abhay Chautala) इंडियन नेशनल लोकदल (INLD) के सदस्य हैं. 2024 हरियाणा विधानसभा चुनाव (2024 Haryana Assembly Elections) में वे एलेनाबाद सीट से चुनावी मैदान में उतर रहे हैं. वे 2014 से 2019 तक हरियाणा विधानसभा में विपक्ष के नेता रहे. अभय चौटाला चार बार हरियाणा विधानसभा के लिए चुने जा चुके हैं.
वे भारतीय ओलंपिक संघ के 10वें अध्यक्ष भी रहे हैं. साथ ही, भारतीय मुक्केबाजी महासंघ के अध्यक्ष भी थे. वे भारत के पूर्व उप प्रधानमंत्री देवी लाल के पोते हैं. चौटाला ने अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत चौटाला गांव के उपसरपंच के रूप में किया था. साल 2000 में उन्होंने अपने पिता को भारतीय राष्ट्रीय लोकदल (आईएनएलडी) के बैनर तले हरियाणा के रोरी विधानसभा क्षेत्र से जीत दिलाने में मदद की थी. तभी से वे राजनीति में सक्रिय हैं.
अभय चौटाला का जन्म 14 फरवरी 1963 में हुआ था. उन्होंने मार्च 1987 में सुप्रिया से विवाह किया था. 11 नवंबर 1988 को उनकी पत्नी की संदिग्ध परिस्थितियों में मृत्यु हो गई. बाद में, उन्होंने कांता चौटाला से विवाह किया और उनके दो बेटे, करण सिंह चौटाला और अर्जुन सिंह चौटाला हैं.
हरियाणा विधानसभा चुनाव में उन दलों का हाल खराब रहा जो सत्ता की चाबी अपने पास आने के दावे कर रहे थे. जेजेपी और एएसपी गठबंधन के दुष्यंत चौटाला समेत 82 उम्मीदवारों की जमानत जब्त हो गई. इस मामले में टॉप पर रही आम आदमी पार्टी. जानिए बाकी दलों का हाल.
हरियाणा में चौटाला फैमिली के आठ सदस्यों ने चुनाव लड़ा, जिनमें सिर्फ दो को ही जीत मिली. बंसीलाल परिवार के दो लोग एक ही सीट पर आमने-सामने थे, उनमें श्रुति चौधरी चुनाव जीत गईं. इसके अलावा भजनलाल परिवार की बात करें तो पंचकूला सीट से कांग्रेस की टिकट पर चंद्रमोहन ने चुनाव जीता.
हरियाणा विधानसभा चुनाव में जननायक जनता पार्टी (JJP) का पूरी तरह सफाया हो गया, जबकि इंडियन नेशनल लोकदल (INLD) ने सिर्फ दो सीटें जीतीं. प्रमुख नेता दुष्यंत चौटाला और अभय सिंह चौटाला अपनी-अपनी सीटों पर हार गए, जिससे इन पार्टियों का राजनीतिक भविष्य सवालों के घेरे में आ गया है.
हरियाणा चुनाव में बीजेपी और कांग्रेस के बीच ही अब तक सीधे लड़ाई होते आई है. दोनों पार्टियां मुख्य तौर पर ओबीसी (अन्य पिछड़ा वर्ग) और जाट वोट बैंक को साधने के लिए जोर लगा रही है. वहीं, अनुसूचित जाति (एससी) भी इस बार चुनावों में निर्णायक फैक्टर हो सकती है.