आदित्य एल 1
आदित्य एल 1 (Aditya L1) एक कोरोनोग्राफी अंतरिक्षयान है जिसे सौर वातावरण का अध्ययन करने के लिए बनाया गया है (Aditya L1, Coronagraphy spacecraft). इसे भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) और विभिन्न अन्य भारतीय अनुसंधान संस्थानों ने डिजाइन और विकसित किया है. इसे पृथ्वी और सूर्य के बीच L1 बिंदु के चारों ओर एक कक्षा में डाला जाएगा, जहां यह सौर वातावरण, सौर चुंबकीय तूफान (solar magnetic storms) और पृथ्वी के आसपास के वातावरण पर इसके प्रभाव का अध्ययन करेगा (Aditya L 1, study Solar Atmosphere).
अंतरिक्षयान कोरोनल हीटिंग, सौर पवन त्वरण, कोरोनल मैग्नेटोमेट्री, निकट-यूवी सौर विकिरण की उत्पत्ति और निगरानी का अध्ययन करेगा और लगातार फोटोस्फीयर, क्रोमोस्फीयर और कोरोना, सौर ऊर्जावान कणों और सूर्य के चुंबकीय क्षेत्र का निरीक्षण भी करेगा (Aditya L 1, Examine of magnetic field of the Sun).
यह सूर्य का निरीक्षण करने वाला पहला भारतीय मिशन है. इसे सितंबर/अक्टूबर 2022 में PSLV-XL लॉन्च वाहन पर लॉन्च करने की योजना है (First Indian mission to observe Sun).
आदित्य की परिकल्पना जनवरी 2008 में अंतरिक्ष अनुसंधान सलाहकार समिति ने की थी. शुरुआत में इसकी परिकल्पना, सौर कोरोना का अध्ययन करने के लिए एक छोटे से, कम-पृथ्वी की परिक्रमा करने वाले उपग्रह के रूप में की गई थी. वित्तीय वर्ष 2016-2017 के लिए 3 करोड़ रुपये का प्रायोगिक बजट आवंटित किया गया था (Budget for Aditya L 1). तब से मिशन के दायरे का विस्तार किया गया है और अब इसे एक व्यापक सौर और अंतरिक्ष पर्यावरण वेधशाला बनाने की योजना है जिसे लैग्रेंज बिंदु L1 पर रखा जाएगा, इसलिए मिशन का नाम बदलकर "आदित्य-L1" कर दिया गया (Name of Spacecraft, Aditya L 1).
ISRO से बड़ी खुशखबरी आई है. हमारे Aditya-L1 ने सूरज के चारों तरफ पहला चक्कर लगा लिया है. सूर्य की की स्टडी करने गए भारतीय स्पेसक्राफ्ट यह सफलता 178 दिन में हासिल की है. इसरो वैज्ञानिक लगातार इसके ऑर्बिट पर नजर रख रहे हैं. उसे पहले ऑर्बिट से दूसरे ऑर्बिट में डाल दिया गया है.
सूरज ने इतिहास की सबसे ताकतवर सौर लहर छोड़ी है, जिसे ISRO के Aditya-L1 स्पेसक्राफ्ट ने कैप्चर किया है. ये भयानक X Class की सौर लहर थी. इसका असर दुनिया भर के संचार सिस्टम, सैटेलाइट्स, पावर ग्रिड और नेविगेशन सिस्टम पर पड़ सकता है. ये सौर लहर X 8.7 तीव्रता का विस्फोट था.
सूरज ने इतिहास का सबसे ताकतवर सौर लहर छोड़ी है. जिसे ISRO के Aditya-L1 स्पेसक्राफ्ट ने कैप्चर किया है. ये भयानक X Class की सौर लहर थी. जिसका असर दुनिया भर के संचार सिस्टम, सैटेलाइट्स, पावर ग्रिड और नेविगेशन सिस्टम पर पड़ सकता है. आइए जानते हैं सूरज इतने गुस्से में क्यों है?
इसरो ने L1 प्वाइंट पर मौजूद आदित्य सैटेलाइट के दो मैग्नेटोमीटर को एक्टिव कर दिया है. जिसके बाद अब ये सूरज समेत दूसरे सभी ग्रहों के मैग्नेटिक फील्ड यानी चुंबकीय क्षेत्र की गणना करेगा. यानी अब ये सैटेलाइट दो ग्रहों के बीच की मैग्नेटिक फील्ड और उनमें आने वाले अंतरों के बारे में बताएगा.
ISRO ने L1 प्वाइंट पर मौजूद Aditya सैटेलाइट के दो मैग्नेटोमीटर को एक्टिव कर दिया है. अब यह सूरज समेत अन्य सभी ग्रहों के मैग्नेटिक फील्ड यानी चुंबकीय क्षेत्र की गणना करेगा. यानी दो ग्रहों के बीच की मैग्नेटिक फील्ड और उनमें आने वाले अंतरों के बारे में बताएगा. यह मैग्नेटोमीटर 6 मीटर लंबा है. जिसे 132 दिनों के लिए बंद रखा गया था.
इसरो ने साल 2024 की शुरुआत में ही एक और इतिहास रच दिया है. भारत का आदित्य सैटेलाइट L1 प्वाइंट के हैलो ऑर्बिट में इंसर्ट कर दिया गया है. यानी अब भारत के पहले सोलर ऑब्जरवेटरी की धरती से दूरी 15 लाख किमी है.
ISRO का Aditya सौर यान 126 दिनों में अंतरिक्ष में 15 लाख किलोमीटर का सफर तय कर L1 प्वाइंट के Halo Orbit में इंसर्ट हो गया है. पीएम मोदी समेत तमाम दिग्गजों ने इस सफलता के लिए देशभर के वैज्ञानिकों को बधाई दी. Aditya-L1 के मिशन की लाइफ 5 साल 2 महीने है. जिसमें से 127 दिन खत्म हो चुके हैं. हालांकि ये जरूरी नहीं कि इतने दिन ही काम करे. इससे ज्यादा या कम भी काम कर सकता है.
ISRO के सोलर मिशन आदित्य-एल1 ने इतिहास रच दिया है. सोलर मिशन आदित्य एल1 अपने लक्ष्य एल वन प्वाइंट यानि हेलो ऑर्बिट में स्थापित हो गया है. आदित्य-एल1 की सफलता पर क्या बोले केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह? देखें.
इसरो का Aditya सोलर प्रोब L1 प्वाइंट पर पहुंच गया है. इससे जुड़े कई सवाल आपके मन में होंगे. ये कहां पहुंचा? कितने रुपये का प्रोजेक्ट था? क्या काम करेगा? जानिए 10 सवालों में इसके सभी जवाब...
ISRO ने सूरज की स्टडी करने वाले सोलर प्रोब Aditya को L1 को प्वाइंट पर सफलतापूर्वक पहुंचा दिया है. यान को L1 प्वाइंट के चारों तरफ मौजूद हैलो ऑर्बिट में डाल दिया गया है. अब धरती से करीब 15 लाख किलोमीटर दूर से आदित्य सैटेलाइट सूरज की स्टडी अगले पांच साल तक करता रहेगा.
ISRO का सोलर मिशन आदित्य-एल1 ने इतिहास रच दिया है. सोलर मिशन आदित्य एल1 अपने लक्ष्य एल वन प्वाइंट यानि हेलो ऑर्बिट में स्थापित हो गया है. आपको बता दें कि एल वन प्वाइंट पर 5 साल तक आदित्य एल वन रहेगा. यहां से सूर्य की गतिविधियों पर नजर रखी जाएगी. इस एतिहासिक उपलब्धि पर पीएम मोदी ने वैज्ञानिकों को बधाई दी है.
2 सितंबर 2023 को शुरू हुई आदित्य की यात्रा अब खत्म हो चुकी है और 400 करोड़ रुपये की लागत से तैयार हुआ ये मिशन दुनियाभर के सैटेलाइट्स को सौर तूफानों से बचाएगा. इस ऐतिहासिक सफलता को लेकर भारत के वैज्ञानिकों को दुनियाभर से बधाइयां मिल रही हैं.
ISRO Sun mission Aditya L-1:भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) एक बार फिर इतिहास रचने के करीब है. सोलर मिशन के तहत इसरो द्वारा भेजे गए आदित्य-L1 आज यानी शनिवार की शाम को करीब चार बजे के आसपास अपने गंतव्य स्थान एल-1 प्वाइंट पर पहुंच जाएगा.
जब दो घूमती हुई अंतरिक्षीय वस्तुओं के बीच ग्रैविटी का एक ऐसा प्वाइंट आता है, जहां पर कोई भी वस्तु या सैटेलाइट, दोनों ग्रहों या तारों की गुरुत्वाकर्षण से बचा रहता है. वो लैरेंज पॉइंट्स कहलाता है. यहां पहुंचने के बाद आदित्य-L1 भी धरती और सूरज दोनों की गुरुत्वाकर्षण शक्ति से बचा रहेगा.
6 जनवरी 2024 की शाम करीब चार बजे Aditya सैटेलाइट L1 प्वाइंट के चारों तरफ मौजूद हैलो ऑर्बिट में पहुंचा दिया जाएगा. तब भारत के पहले सोलर ऑब्जरवेटरी की धरती से दूरी 15 लाख km होगी. 2 सितंबर को शुरू हुई ये यात्रा अगले कुछ घंटों में खत्म हो जाएगी.
6 जनवरी 2024 की शाम करीब चार बजे Aditya सैटेलाइट L1 प्वाइंट के चारों तरफ मौजूद हैलो ऑर्बिट में पहुंचा दिया जाएगा. तब भारत के पहले सोलर ऑब्जरवेटरी की धरती से दूरी 15 लाख km होगी. 2 सितंबर को शुरू हुई ये यात्रा अगले कुछ घंटों में खत्म हो जाएगी. फिर 400 करोड़ रुपए का ये मिशन भारत के पचासों हजार करोड़ के पचासों सैटेलाइट्स की सुरक्षा करेगा.
सिर्फ तीन दिन और. इसके बाद ISRO को बहुत बड़ी सफलता मिलने वाली है. 6 जनवरी 2024 की शाम करीब चार बजे सूरज की स्टडी करने के लिए भेजा गया Aditya सैटेलाइट, अपने L1 प्वाइंट पर पहुंच जाएगा. कुछ दिन पहले इसरो चीफ S. Somanath ने इसका खुलासा तो किया था लेकिन समय नहीं बताया था.
ISRO चीफ S. Somanath ने बताया है कि 6 January 2024 को Aditya सूरज के L1 प्वाइंट पर पहुंच जाएगा. इसरो चीफ ने बताया कि समय तो नहीं बता सकते, लेकिन 6 को L1 प्वाइंट पर आदित्य सैटेलाइट को तैनात किया जाएगा. इससे कुछ दिन पहले ही आदित्य-L1 ने सूरज की अलग-अलग रंगों का फोटो कॉम्बो भेजा था.
Aditya-L1 मिशन से जुड़ी इसरो की वैज्ञानिक निगार शाजी ने कहा कि भारत को सुपर स्पेस पावर बनने में अभी डेढ़ दो दशक लगेंगे. भारत अभी दुनिया के कई देशों से पीछे हैं. लेकिन हम आराम से अपनी तकनीक और स्वदेशी टेक्नोलॉजी के रास्ते पर चल रहे हैं. इसमें सक्सेस जरूर मिलेगी.
विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्री जितेंद्र सिंह ने कहा कि तुलना नासा से करते थे, लेकिन आज नासा वाले हमें फॉलो कर रहे हैं. हम साइंस के मामले में फ्रंटलाइन नेशन बनकर बैठे हैं. पिछले दस सालों में 400 विदेशी सैटेलाइट लॉन्च किए हैं. हमारे पास ओशन रिसोर्स है. हिमालयन रिसोर्स है. स्पेस रिसोर्स है. भारत इनके दम पर शिखर तक जाएगा.
ISRO से बड़ी खुशखबरी आई है. Aditya-L1 मिशन ने सूरज की पहली तस्वीरें जारी की हैं. इन तस्वीरों को SUIT पेलोड ने कैप्चर किया है. ये तस्वीरें 11 अलग-अलग रंगों में हैं. यानी सूट पेलोड ने 200 से 400 nm वेवलेंथ में ये सारी तस्वीरें ली हैं. अब इसरो और इस मिशन से जुड़े अन्य संस्थानों के वैज्ञानिक सूरज की स्टडी करेंगे.