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अगस्ता वेस्टलैंड घोटाला

अगस्ता वेस्टलैंड घोटाला

अगस्ता वेस्टलैंड घोटाला

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भारत के  यूपीए(कांग्रेस) सरकार ने  फरवरी, 2010 में 12 वीवीआईपी हेलीकॉप्टर (VVIP Choppers) की खरीद के लिए अगस्ता वेस्टलैंड (Agusta Westland) के साथ करीब 3600 करोड़ रुपये की डील की थी. उस वक्त अगस्ता वेस्टलैंड की पैरेंट कंपनी  फिनमेकानिका (Finmeccanica) थी जो बाद में Leonardo SpA बन गई. इस डील में इटली की जांच एजेंसियों ने 2012 में 360 करोड़ रुपये के कमीशन के भुगतान का आरोप लगाया (Agusta Westland Scam). साथ ही, आरोप लगा कि कंपनी ने टेंडर पाने के लिए भारतीय अधिकारियों को रिश्वत दी (Bribery Scandal). 

यह घोटाला 2013-14 में सामने आया. इस घोटाले में एसपी त्यागी (SP Tyagi Agusta Westland Scam) सहित कई राजनेताओं और सैन्य अधिकारियों पर अगस्ता वेस्टलैंड से रिश्वत लेने का आरोप है, जिसके बाद यूपीए सरकार ने सौदा रद्द कर दिया. इस घोटाले के कारण कांग्रेस पर भी सवाल उठे थे.

इटली के न्यायालय ने अप्रैल, 2014 में एक फैसले के अनुसार अगस्ता सौदे में घोटाला की बात को माना. साथ ही, अदालत ने कंपनी फिनमेकानिका को दोषी पाया था. 

एक खबर के अनुसार, कोर्ट ने अपने आदेश में फिनमैकेनिका की अधीनस्थ कंपनी अगस्ता वेस्टलैंड के पूर्व सीईओ ब्रूनो स्पैगनोलिनि (Ex CEO Bruno Spagnolini) को भी साढ़े चार साल जेल की सजा सुनाई. 

इसके पूर्व, इटली की एक अदालत ने मई 2014 में इटली के बैंकों में जमा 1818 करोड़ रुपए की बैंक गारंटी भारत को लेने की अनुमति दे दी थी. इस पर अगस्ता वेस्टलैंड कंपनी अंतरराष्ट्रीय न्यायालय की शरण में चली गई और सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायमूर्ति बी एन श्रीकृष्ण (Justice B.N. Srikrishna) को मध्यस्थ के तौर पर नामित किया. इस पर भारत ने न्यायमूर्ति बी पी जीवन रेड्डी को दूसरा मध्यस्थ नियुक्त किया. सितंबर, 2014 में जब दोनों पक्ष तीसरे मध्यस्थ पर सहमत नहीं हुए तो अंतरराष्ट्रीय न्यायालय ने प्रोफेसर विलियम पार्क को मामले के निपटारे के लिए नियुक्त किया. मामला बढ़ने के बाद सरकार ने कंपनी के साथ डील रद्द कर दी.

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