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अहोई अष्टमी

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अहोई अष्टमी

अहोई अष्टमी (Ahoi Ashtami), हिंदू त्योहार है जो कृष्ण पक्ष अष्टमी पर मनाई जाती है. उत्तर भारत में पूर्णिमांत कैलेंडर के अनुसार, यह कार्तिक के महीने में पड़ता है और गुजरात, महाराष्ट्र और अन्य दक्षिणी राज्यों में अमंता कैलेंडर के अनुसार, यह अश्विन के महीने में पड़ता है (Ahoi Ashtami Tithi). 

अहोई अष्टमी पर महिलाएं अपने बच्चों के लिए उपवास रखती हैं और माता अहोई की पूजा करती हैं. महिलाएं अपने बच्चों के अच्छे स्वास्थ्य और लंबी उम्र के लिए उनकी पूजा करती हैं. व्रत के दिन महिलाएं सुबह स्नान करके अपने बच्चों की भलाई के लिए व्रत रखने का संकल्प लेती हैं. यह उपवास बिना किसी भोजन या पानी के होता है और परंपरा के अनुसार चंद्रमा को देखने के बाद उपवास तोड़ा जाता है (Ahoi Ashtami for Children).

सूर्यास्त से पहले पूजा की तैयारी पूरी कर ली जाती है. महिलाएं या तो देवी अहोई की छवि को गेरू से दीवार पर खींचती हैं या कपड़े के टुकड़े पर कढ़ाई करके दीवार पर लटका देती हैं. जिन महिलाओं को संतान नहीं होती है वे अहोई अष्टमी की सभी पूजा और अनुष्ठान करती हैं. साथ ही, संतान की कामना करती हैं. उत्तर प्रदेश के मथुरा जिले में स्थित राधा कुंड में सूर्योदय से पहले अरुणोदय में स्नान करने की भी परंपरा हैं (Ahoi Ashtami Rituals). 

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