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एयर टर्बुलेंस

एयर टर्बुलेंस

एयर टर्बुलेंस

विमानन के क्षेत्र में, टर्बुलेंस शब्द काफी इस्तेमाल होता है. यह ऐसी घटना है जिससे हर पायलट बचना चाहता है. टर्बुलेंस असल में एयर फ्लो में दबाव और रफ्तार में आया अचानक परिवर्तन होता है, जिससे विमान को धक्का लगता है. विमान चलते-चलते ऊपर-नीचे हिलने लगता है, जिसे Aircraft Shaking कहते हैं. टर्बुलेंस की वजह से मामूली झटकों से लेकर तेज और लंबे झटके महसूस किए जा सकते हैं. जिसके नतीजे बेहद भयावह भी हो सकते हैं. हवा की स्थिरता के आधार पर टर्बुलेंस को हल्के, मध्यम, गंभीर या एक्सट्रीम टर्बुलेंस में बांटा जाता है (Air Turbulence).

मध्यम टर्बुलेंस के दौरान, विमान पर नियंत्रण बनाए रखा जाता है. यात्रियों को सीट बेल्ट के खिलाफ तनाव महसूस होता है, जबकि गंभीर टर्बुलेंस से विमान की एयर स्पीड में बदलाव होता है. साथ ही, उसके एल्टिट्यूड और एटिट्यूड में भी तेजी से बदलाव आ सकता है. एक्सट्रीम टर्बुलेंस की स्थिति में विमान खतरनाक तरह से उछल सकता है, जिसे नियंत्रित करना और हवा में स्थिर रखना असंभव होता है.
समुद्र की लहरों की तरह, जब हवा किसी पहाड़ या ऊंची इमारत से टकराती है तो हवा में भी लहरें बनती हैं. हवा में टर्बुलेंस कई पर्यावरणीय कारकों की वजह से होता है, जैसे तेज हवा या फिर वातावरण में अचानक हुआ बदलाव.

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एयर टर्बुलेंस न्यूज़

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