अकाल तख्त (Akal Takht) सिखों के पांच तख्तों में से एक है. यह अमृतसर में दरबार साहिब (स्वर्ण मंदिर) परिसर में स्थित है. अकाल तख्त का निर्माण गुरु हरगोबिंद ने न्याय और लौकिक मुद्दों पर विचार करने के स्थान के रूप में किया था. यह खालसा के सांसारिक अधिकार की सर्वोच्च सीट और सिखों के सर्वोच्च प्रवक्ता जत्थेदार का स्थान है.
2015 में कुछ सिख संगठनों द्वारा आयोजित सरबत खालसा के बीच और जत्थेदार की स्थिति शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के बीच विवादित है. इसने 2023 में ज्ञानी रघुबीर सिंह को कार्यवाहक जत्थेदार नियुक्त किया था.
जगतार सिंह हवारा की राजनीतिक कैद के कारण, सरबत खालसा द्वारा ध्यान सिंह मंड को कार्यवाहक जत्थेदार नियुक्त किया गया था. हालांकि शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी ने इसके अधिकार को स्वीकार करने से इनकार कर दिया.
आदेश को स्वीकार करते हुए धामी ने सजा पूरी की. धामी ने स्वर्ण मंदिर की सामुदायिक रसोई में बर्तन साफ किए, भक्तों को भोजन परोसा और भक्तों के जूते पॉलिश किए. 16 दिसंबर को, धामी पंजाब राज्य महिला आयोग के सामने पेश हुए थे और पूर्व एसजीपीसी प्रमुख बीबी जागीर कौर के खिलाफ अपनी टिप्पणी के लिए माफी मांगी.
अकाल तख्त के जत्थेदार ज्ञानी रघबीर सिंह ने यह आदेश अकाल तख्त के 'फसील' (मंच) से सुनाया. इसके साथ ही उन्होंने शिरोमणि अकाली दल (SAD) की कार्यसमिति से सुखबीर बादल से पार्टी अध्यक्ष पद से इस्तीफा लेने की मांग की और छह महीने के भीतर SAD अध्यक्ष और अन्य पदाधिकारियों के चुनाव के लिए समिति बनाने का निर्देश दिया.
पंजाब के पूर्व डिप्टी सीएम सुखबीर सिंह बादल ने आज से अगले दो दिनों के लिए अमृतसर के स्वर्ण मंदिर में सेवा शुरू कर दी. साथ में उनके गले में तनखैया यानी दोषी होने की तख्ती लटकी हुई थी. धार्मिक कदाचार के लिए अकाल तख्त ने उन्हें ये सजा दी है. इससे पहले कई नेताओं समेत महाराजा रणजीत सिंह को भी अकाल तख्त सजा दे चुका है.
सुखबीर बादल सजा के दरम्यान अपने गले में दोषी होने की तख्ती पहनकर सेवादारी करेंगे. वे श्री दरबार साहिब में बने लंगर हॉल में एक घंटे तक बर्तन साफ करेंगे. एक घंटे तक गुरबाणी सुनेंगे.