आलमगीर द्वितीय (Alamgir II) (1699-1759) मुगल साम्राज्य के 15वें शासक थे. उनका वास्तविक नाम अजीज-उद-दीन था और वे 3 जून 1754 को मुगल सम्राट बने. वे मुगल सम्राट औरंगजेब के नाम "आलमगीर" से प्रभावित होकर "आलमगीर द्वितीय" कहलाए.
आलमगीर द्वितीय को दिल्ली के सिंहासन पर मुगल साम्राज्य के तत्कालीन शक्ति केंद्र, विशेष रूप से वज़ीर गाजीउद्दीन इमाद-उल-मुल्क, के सहयोग से बैठाया गया था. उनके शासनकाल के दौरान साम्राज्य पहले से ही कमजोर था, और मराठा, रोहिला तथा अफगानों का प्रभाव बढ़ रहा था.
उनके शासन के दौरान, मराठों ने दिल्ली पर आक्रमण किया और 1757 में अफगान शासक अहमद शाह अब्दाली ने भी दिल्ली पर कब्जा किया.
1757 में अहमद शाह अब्दाली ने दिल्ली पर हमला किया और मुगल शासक को अपनी शर्तों के अधीन कर दिया. अब्दाली ने साम्राज्य की दुर्बलता को देखते हुए इसे अपनी शक्ति के अधीन करने की कोशिश की.
आलमगीर द्वितीय एक कमजोर शासक थे और उनके शासन का वास्तविक नियंत्रण वजीर गाजीउद्दीन इमाद-उल-मुल्क के हाथों में था.
आलमगीर द्वितीय का शासनकाल मात्र 5 वर्षों का रहा. 29 नवंबर 1759 को उनके ही वजीर गाजीउद्दीन इमाद-उल-मुल्क ने उनकी हत्या कर दी. इसके बाद शाह आलम द्वितीय को सम्राट बनाया गया.