आमलकी एकादशी (Amalaki Ekadashi) पर श्री हरि के पूजन का विशेष महत्व बताया गया है. कहते हैं कि इस दिन आंवले का उबटन, आंवले के जल से स्नान, आंवला पूजन, आंवले का भोजन और आंवले का दान करना चाहिए. हर साल कुल 24 एकादशी आती हैं. इनमें से एक फाल्गुन शुक्ल में आने वाली आमलकी एकादशी भी है. इसे आमलक्य एकादशी भी कहा जाता है. आमलकी का अर्थ आंवला होता है. इस साल आमलकी एकादशी 10 मार्च को मनाई जाएगी.
आंवले का वृक्ष भगवान विष्णु को बहुत प्रिय है. कहते हैं कि आंवले के वृक्ष में स्वयं भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी का वास होता है. इसलिए आमलकी एकादशी पर श्री हरि के पूजन का विशेष महत्व बताया गया है.
आमलकी एकादशी के दिन पूजन से लेकर भोजन तक हर कार्य में आंवले का उपयोग होता है. इस दिन सुबह स्नानादि के बाद भगवान विष्णु का ध्यान करें और व्रत का संकल्पलें. इसके बाद स्नान आदि से निवृत्त होकर भगवान विष्णु की पूजा करें. भगवान के सामने घी का दीपक जलकार विष्णु सहस्रनाम का पाठ करें.पूजा के बाद आंवले के वृक्ष के नीचे नवरत्न युक्त कलश स्थापित करना न भूलें. यदि आंवले का वृक्ष उपलब्ध न हो तो श्री हरि को आंवला अर्पित कर दें.
Rangbhari Ekadashi 2025: इस बार 10 मार्च को रंगभरी एकादशी मनाई जाएगी. फाल्गुन शुक्ल-एकादशी को काशी में रंगभरी एकादशी कहा जाता है. इस दिन भोले की नगरी काशी में मां पार्वती के स्वागत के रूप में मनाया जाता है. इस दिन बाबा विश्वनाथ का विशेष श्रृंगार होता है.