अमर जवान ज्योति
अमर जवान ज्योति (Amar Jawan Jyoti) एक भारतीय स्मारक है जो 1971 के भारत-पाकिस्तान युद्ध में भारतीय सशस्त्र बलों के शहीद और अज्ञात सैनिकों की याद में बनाया गया था (Indian Memorial Constructed after the Indo-Pakistani War of 1971). अमर जवान ज्योति में एक संगमरमर की चौकी है, जिस पर बतौर यादगार एक खाली समाधि है. स्मारक के चारों तरफ सोने से "अमर जवान" लिखा गया है और ऊपर, एक एल 1 ए 1 सेल्फ-लोडिंग राइफल अपने बैरल पर अज्ञात सैनिक के हेलमेट के साथ खड़ी है (L1A1 Self-Loading Rifle), आसन चार कलशों से बंधा हुआ है, जिनमें से एक में लगातार जलती हुई लौ है.
स्मारक दो स्थानों पर स्थित है. पहला दिसंबर 1971 में बनाया गया था और 1972 में इंदिरा गांधी ने नई दिल्ली में राजपथ पर इंडिया गेट के नीचे इसका उद्घाटन किया था (Inaugurated by Indira Gandhi in 1972 under India Gate). दूसरा स्मारक, स्वतंत्रता के बाद भारतीय सशस्त्र बलों के सभी ज्ञात शहीदों को सम्मानित करने के लिए राष्ट्रीय युद्ध स्मारक के तहत स्थापित किया गया (National War Memorial). यहां तमाम शहीदों के नाम 'गोल्डन लेटर्स' में लिखे हैं. इसका निर्माण फरवरी 2019 में पूरा हुआ और 25 फरवरी को नरेंद्र मोदी ने उद्घाटन किया गया (Inaugurated by Narendra Modi on 25 February 2019). यहां जवानों की शाश्वत लौ "अमर जवान ज्योति" प्रज्वलित है.
इंडिया गेट के मुख्य संरचना का निर्माण मूल रूप से 1921 में एडविन लुटियंस द्वारा किया गया था (India Gate was constructed in 1921 by Edwin Lutyens). अमर जवान ज्योति को 1971 में इंडिया गेट के नीचे जोड़ा गया था. 3 दिसंबर 1971 से 16 दिसंबर 1971 तक, पूर्वी पाकिस्तान में मुक्ति संग्राम के दौरान भारत-पाकिस्तान युद्ध हुआ था (Liberation War in East Pakistan). बांग्लादेश के निर्माण में भारत ने सैनिक सहायता प्रदान की थी, जिस दौरान कई भारतीय सैनिक शहीद हुए थे (Indo-Pakistani War of 1971). दिसंबर 1971 में, 1971 के भारत-पाकिस्तान युद्ध के बाद, तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने शहीद और अज्ञात सैनिकों की स्मृति में इंडिया गेट के नीचे अमर जवान ज्योति के निर्माण को शुरू कराया. भारत के 23वें गणतंत्र दिवस, 26 जनवरी 1972 पर, स्मारक का आधिकारिक उद्घाटन इंदिरा गांधी ने किया था (Amar Jawan Jyoti History).