अमरमणि त्रिपाठी (Amarmani Tripathi) पूर्वी उत्तर प्रदेश के एक राजनेता हैं. वह नौतनवा से चार बार विधायक रहे हैं. साथ ही, वह राज्य मंत्री भी रह चुके हैं.
वह और उनकी पत्नी मधुमणि त्रिपाठी, वर्तमान में मधुमिता शुक्ला हत्याकांड (Madhumita Shukla Murder Case) में हत्या की साजिश के मामले में आजीवन कारावास की सजा काट रहे हैं. दोनों को अक्टूबर 2007 में आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई थी (Amarmani Tripathi and his Wife got life imprisonment).
13 मई 2022 को अमरमणि की पत्नी मधुमणि त्रिपाठी की तरफ से सुप्रीम कोर्ट में अच्छे बर्ताव के चलते सजा में माफी को लेकर दया याचिका दायर की गई थी. 21 नवंबर 2022 को सुप्रीम कोर्ट ने अच्छे बर्ताव के आधार पर मधुमणि की रिहाई के बारे में आदेश दिया.10 फरवरी 2023 को सुप्रीम कोर्ट ने अमरमणि को भी रिहा करने का आदेश दे दिया (Supreme Court Release Order of Amarmani Tripathi).
मधुमिता एक कवयित्री और कथित तौर पर अमरमणि की प्रेमिका थीं. 9 मई 2003 को लखनऊ के पेपर मिल कॉलोनी (Lucknow’s Paper Mill Colony) में उनके दो कमरे के अपार्टमेंट में गोली मारकर हत्या कर दी थी. उस समय वह 24 वर्ष की थीं और सात महीने की गर्भवती थी. मधुमिता की पोस्टमार्टम रिपोर्ट से पता चला कि उसके गर्भ में एक भ्रूण था जो अमरमणि त्रिपाठी के डीएनए से मेल खाता था (Mudhumita Shukla Murder).
अमरमणि त्रिपाठी का जन्म 14 फरवरी 1956 को हुआ था. उनके पिता भी नौतनवा विधानसभा क्षेत्र के विधायक हैं. उनके बेटे अमन ने 2012 में समाजवादी पार्टी के टिकट पर नौतनवा विधानसभा से चुनाव लड़ा, लेकिन करीबी अंतर से हार गए (Amarmani Tripathi Family).
गैंगस्टर से नेता बने अमरमणि 2002-03 में मायावती सरकार में आखिरी मंत्री थे. उन्होंने कल्याण सिंह (1997), राम प्रकाश गुप्ता (1999) और राजनाथ सिंह (2000) के नेतृत्व वाली भाजपा सरकारों में भी मंत्री के रूप में कार्य किया. अमरमणि ने अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत पूर्वी यूपी में भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी से की और बाद में कांग्रेस में शामिल हो गए. गिरफ्तारी के समय वह समाजवादी पार्टी से जुड़े थे (Amarmani Tripathi Political Career).
उत्तर प्रदेश की बस्ती पुलिस ने प्रदेश के पूर्व मंत्री अमरमणि त्रिपाठी की संपत्ति कुर्क कर दी है. नौतनवा स्थित अमरमणि त्रिपाठी के घर को सील कर दिया गया है. बस्ती की स्पेशल एमपी-एमएलए कोर्ट के आदेश पर ये कार्रवाई की गई. दरअसल बस्ती की स्पेशल एमपी-एमएलए कोर्ट व्यापारी के अपहरण मामले में अमरमणि त्रिपाठी को फरार घोषित कर चुकी थी. इलाहाबाद हाई कोर्ट ने भी एमपी-एमएलए कोर्ट के फैसले को बरकरार रखा था.
यूपी सरकार में मंत्री रहे अमरमणि त्रिपाठी के बेटे और पूर्व विधायक अमनमणि त्रिपाठी की कांग्रेस में एंट्री हो गई है. उन्होंने पहली बार 2012 में सपा की टिकट पर चुनाव लड़ा था, लेकिन हार का सामना करना पड़ा. हालांकि 2017 में उन्होंने निर्दलीय चुनाव जीता था.
अमरमणि त्रिपाठी (Amarmani Tripathi) के मकान पर कुर्की का नोटिस भी चस्पा किया जा चुका है. भगोड़ा तक घोषित किया जा चुका है. लेकिन अमरमणि बस्ती पुलिस के हाथ नहीं लग रहे. उधर, कोर्ट से लगातार तल्ख टिप्पणी हो रही है कि आखिर पुलिस अमरमणि को खोज क्यों नहीं पा रही.
उत्तर प्रदेश के पूर्व मंत्री और बाहुबली नेता अमरमणि त्रिपाठी फिर से मुश्किलों में घिर गए हैं. कोर्ट की फटकार के बाद पुलिस ने अमरमणि त्रिपाठी के खिलाफ शिकंजा करना शुरू कर दिया है. दरअसल, अमरमणि 22 साल पहले बस्ती जिले में हुए बिजनेसमैन के बेटे के अपहरणकांड के मुख्य आरोपी हैं.
Amarmani Tripathi News: कोर्ट ने बस्ती के एसपी को फटकार लगाई और कहा कि गरीब अपराधियों को पकड़ने में पुलिस महकमा पूरी तत्परता से लग जाता है, पैरवी भी बड़ी ही तत्परता पूर्वक करता है. लेकिन जैसे ही किसी प्रभावशाली दुर्दांत अपराधी को पकड़ने की बात आती है तो पुलिस के कदम डगमगा जाते हैं.
मधुमिता शुक्ला हत्याकांड में अमरमणि त्रिपाठी की जेल से रिहाई के बाद भी मुश्किलें कम नहीं हो रही हैं. बस्ती की एमपी-एमएलए कोर्ट ने उनकी गिरफ्तारी का आदेश दिया था, लेकिन खराब तबीयत की वजह से वो कोर्ट में पेश नहीं हुए. अब इस मामले में उनके वकील ने कोर्ट में हलफनामा दायर किया है.
हाल ही में जेल से रिहा हुए अमरमणि त्रिपाठी के खिलाफ अब बस्ती जिले की एमपी-एमएलए कोर्ट ने गैर जमानती वारंट जारी कर दिया है. ये वारंट 22 साल पुराने एक अपहरण केस को लेकर जारी हुआ है.
बरेली सेंट्रल जेल के जेलर ने 18 अगस्त 2023 को उसका निरुद्धि प्रमाण पत्र जारी किया है. वो कैरेक्टर सर्टिफिकेट 80 के दशक के डॉन रहे, उस ओमप्रकाश श्रीवास्तव उर्फ बबलू श्रीवास्तव का है, जिसे भारत में किडनैपिंग इंडस्ट्री का सबसे बड़ा किंगपिन भी कहा जाता था.