अमरनाथ यात्रा
अमरनाथ यात्रा (Amarnath Yatra) जम्मू और कश्मीर (Jammu Kashmir) केंद्र शासित प्रदेश में स्थित अमरनाथ गुफा मंदिर एक हिंदू तीर्थयात्रा है, जो एक वार्षिक है. श्रीनगर से 141 किमी दूर इस मंदिर तक दो मार्गों से पहुंचा जा सकता है, बालटाल और पहलगाम के माध्यम (Baltal and Pahalgam) से. यात्रा का आयोजन जम्मू-कश्मीर सरकार और श्री अमरनाथ जी श्राइन बोर्ड (J&K Govt. and Shri Amarnath Ji shrine board) के संयुक्त सहयोग से किया जाता है.
अमरनाथ मंदिर को हिंदुओं के सबसे पवित्र मंदिरों में से एक माना जाता है और इसके साथ कई किंवदंतियां जुड़ी हुई हैं. इस मंदिर को 51 शक्तिपीठों (Shaktipeeths ) (वे स्थान जहां देवी सती के शरीर के अंग गिरे थे) में रखा गया हैं (parts of Goddess Sati). साथ ही इसे उस स्थान के रूप में भी वर्णित करते हैं जहां भगवान शिव ने देवी पार्वती को जीवन और अनंत काल का रहस्य सुनाया था (Lord Shiva). इस मंदिर का अधिकांश भाग सालों भर बर्फ से घिरा रहता है. गर्मी के मौसम में मंदिर को बहुत कम समय के लिए खोला जाता है. भक्तों को 40 मीटर ऊँची इस गुफानुमा मंदिर तक पहुँचने के लिए लगभग 35 से 48 किमी की यात्रा करनी पड़ती हैं, इस गुफा में गिरते पानी की बूंदों से शिवलिंग बनता है (Amarnath Shivlling ).
अमरनाथ मंदिर की गुफा 12,756 फीट की ऊंचाई पर स्थित है. यह तीर्थयात्रा अपने जगह और पर्यावरण के कारण एक कठिन ट्रेक है. मंदिर के दर्शन करने के इच्छुक भक्तों को ऊंचाई और दूरी को तय करने के लिए अच्छी सेहत में होना जरुरी है. पिछले कुछ वर्षों में, अमरनाथ यात्रा में बड़ी संख्या में श्रद्धालु तीर्थ के लिए पहुंचे हैं, जिसकी वजह से इसे उग्रवादियों के लिए एक प्रमुख लक्ष्य बना दिया है (Amarnath Yatra).
दक्षिण कश्मीर हिमालय में 3,880 मीटर ऊंची पवित्र गुफा की यात्रा 1 जुलाई को दो ट्रैक से शुरू होने वाली है. अमरनाथ यात्रा के लिए श्रद्धालु अनंतनाग जिले में पारंपरिक 48 किलोमीटर नुनवान-पहलगाम मार्ग और गांदरबल में 14 किमी छोटा बालटाल मार्ग का इस्तेमाल कर सकते हैं.
अमरनाथ यात्रा 1 जुलाई से शुरू हो जाएगी. इसके लिए जम्मू में खास तैयारी शुरू हो गई है. तीर्थयात्रियों के रूकने के लिए बनाए गए बेस कैंप को फाइनल टच दिया जा रहा है.
गृहमंत्री अमित शाह ने अमरनाथ यात्रियों के लिए ठहरने, बिजली, पानी, संचार और स्वास्थ्य सहित सभी आवश्यक सुविधाओं की समुचित व्यवस्था करने के निर्देश दिए. बैठक के दौरान बताया गया कि श्री अमरनाथ यात्रा के सभी तीर्थयात्रियों को RFID कार्ड दिए जाएंगे, ताकि उनकी रियल टाइम लोकेशन का पता लगाया जा सके.
गृह मंत्रालय में 1 जुलाई से शुरु होने वाली अमरनाथ यात्रा की सुरक्षा को लेकर शुक्रवार को बड़ी बैठक हुई. गृह मंत्री अमित शाह ने इस उच्च स्तरीय बैठक की अध्यक्षता की. इस दौरान जम्मू कश्मीर के एलजी मनोज सिन्हा के साथ आर्मी प्रमुख भी मौजूद रहे. देखें ये वीडियो.
खुफिया सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक, अमरनाथ यात्रा की शुरुआत से पहले पाकिस्तान ने जम्मू रीजन में आतंक को जिंदा करने का प्लान बनाया था. पाकिस्तान के इस प्लान को डिकोड कर लिया गया है. पाकिस्तान ने रफीक नाई और मोहम्मद अमीन बट उर्फ अबू खुबैब को अमरनाथ यात्रा पर हमला करने की जिम्मेदारी दी थी.
जम्मू-कश्मीर के पहाड़ी क्षेत्रों में बर्फबारी शुरू हो चुकी है. इसी के चलते पवित्र अमरनाथ गुफा में शिवलिंग ने आकार लिया है. और इस साल की अमरनाथ यात्रा की तैयारियों में जम्मू कश्मीर प्रशासन जुट गया है. और जानकारी दे रहे हैं अशरफ वाणी इस रिपोर्ट में.
बाबा बर्फानी की पहली तस्वीर सामने आ गई है. एक जुलाई से शुरू हो रही यात्राबाबा बर्फानी के दर्शन के लिए 1 जुलाई 2023 से यात्रा शुरू होगी. यह यात्रा 62 दिनों तक चलेगी. अमरनाथ यात्रा को लेकर सरकार ने शेड्यूल भी जारी कर दिया है. यात्रा के लिए ऑफलाइन और ऑनलाइन मोड के माध्यम से रजिस्ट्रेशन किए जा रहे हैं.
बाबा बर्फानी के दर्शन के लिए 1 जुलाई 2023 से यात्रा शुरू होगी. यह यात्रा 62 दिनों तक चलेगी. अमरनाथ यात्रा को लेकर सरकार ने शेड्यूल भी जारी कर दिया है. यात्रा के लिए ऑफलाइन और ऑनलाइन मोड के माध्यम से रजिस्ट्रेशन किए जा रहे हैं.
अमरनाथ यात्रा इस साल 1 जुलाई से शुरू हो रही है. यह यात्रा 62 दिनों तक चलेगी. यात्रा के लिए 17 अप्रैल से ऑफलाइन और ऑनलाइन मोड के माध्य से रजिस्ट्रेशन शुरू हो चुके हैं. अमरनाथ यात्रा के रजिस्ट्रेशन पंजाब नेशनल बैंक, जम्मू में हो रहे हैं. लोगों के स्वागत के लिए बैंक को सजाया भी गया है. देखें सुनीलजी बट्ट की ये रिपोर्ट.
सरकार ने अमरनाथ यात्रा के लिए शेड्यूल जारी कर दिया है, यह यात्रा 1 जुलाई से शुरू होगी और 62 दिनों तक चलेगी. यात्रा के लिए 17 अप्रैल से ऑफलाइन और ऑनलाइन मोड के माध्यम से रजिस्ट्रेशन शुरू होंगे. कश्मीर घाटी के अनंतनाग जिले में अमरनाथ की वार्षिक तीर्थयात्रा का प्रबंधन श्री अमरनाथजी श्राइन बोर्ड करता है.
अमरनाथ यात्रा को लेकर जम्मू कश्मीर प्रशासन भी अब एक्टिव मोड में आ गया है. उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने प्रशासनिक अधिकारियों के साथ ही बीआरओ के अधिकारियों के साथ बैठक कर अमरनाथ यात्रा मार्ग की चौड़ाई बढ़ाने के साथ ही मरम्मत के कार्यों की समीक्षा की.
8 जुलाई 2022 को पवित्र अमरनाथ गुफा में आई अचानक बाढ़ में 40 लोग लापता हो गए थे. 16 की मृत्यु हो गई थी. 15 हजार लोगों को बचाया गया था. कहा गया कि बादल फटने से अमरनाथ पर ये हादसा हुआ. पर क्या असल में ऐसा हुआ था. हिमालयन एक्सपर्ट्स ने इसकी असली वजह बताई है. आइए जानते कि क्यों अमरनाथ गुफा के ऊपर आफत के बादल फटे या बारिश आई.
अमरनाथ यात्रा एक बार फिर से शुरू हो गई है. पिछले 36 घंटे में नेचुरल कारणों की वजह से अमरनाथ यात्रा में 8 श्रद्धालुओं की मौत हो गई है. इस बार अमरनाथ यात्रा 30 जून से शुरू हुई थी.
अमरनाथ गुफा के पास बादल फटने के बाद यात्रा स्थगित कर दी गई थी. शाम 5 बजकर 30 मिनट बादल फटा था. हादसे के वक्त गुफा के पास करीब 10 हजार श्रद्धालु मौजूद थे. सेना, एनडीआरएफ ने तुरंत रेस्क्यू ऑपरेशन चलाकर ज्यादा से ज्यादा लोगों को सुरक्षित स्थान पर पहुंचा दिया था.
अमरनाथ में इस बार आई बाढ़ ने करीब 16 लोगों की जान ले ली. जबकि अभी भी 40 लोग लापता बताए जा रहे हैं. लेकिन अब सवाल उठने लगे हैं कि पिछली साल भी इसी जगह पर बाढ़ आई थी, लेकिन कोविड के कारण यात्रा बंद होने की वजह से कोई नुकसान नहीं हुआ, लेकिन इस साल उसी जगह पर कैंप क्यों लगाए गए.
प्राकृतिक आपदा के बाद अमरनाथ यात्रा सोमवार से फिर शुरू हो गई है. लिहाजा 4 हजार से अधिक श्रद्दालुओं का जत्था बाबा बर्फानी के दर्शन के लिए रवाना हुआ. श्रद्धालु पवित्र गुफा तक पंजतरणी की ओर से जाएंगे.
श्रीनगर से नई दिल्ली हवाई जहाज से शव भेजा गया. यहां पहुंचने पर शव बदल गया था. बाद में जानकारी हुई तो हड़कंप मच गया.
पवित्र अमरनाथ गुफा इलाका, बालटाल और पंजतरणी समेत अन्य जगहों पर बारिश होना शुरू हो गई है. बता दें कि अमरनाथ यात्रा पहले ही शुक्रवार शाम को स्थगित कर दी गई थी.
दो दिन पहले बादल फटने की घटना के बाद जम्मू-कश्मीर प्रशासन ने बड़ा निर्णय लिया है. प्रशासन की तरफ से बताया गया कि अमरनाथ यात्रा अस्थायी रूप से रोक दी गई.
जम्मू-कश्मीर में शुक्रवार की शाम करीब साढ़े पांच बजे अमरनाथ की गुफा के पास बादल फट गया. इसमें 16 लोगों की मौत हो चुकी है. कई लोग लापता भी हैं. भारतीय सेना के नेतृत्व में एनडीआरएफ, एसडीआरएफ और आईटीबीपी की टीमें राहत और बचाव कार्य में जुटी हैं.
विधायक राजा सिंह ने आपबीती सुनाई. उन्होंने बताया कि शुक्रवार को मौसम बिगड़ने से पहले उन्होंने परिवार समेत पहाड़ियों से उतरने के लिए टट्टू का इस्तेमाल किया. राजा सिंह का कहना था कि हमने महसूस किया कि मौसम अचानक बदल गया और बिगड़ गया है.