एंथनी नॉर्मन अल्बानीस (Anthony Norman Albanese) एक ऑस्ट्रेलियाई राजनेता है जो 2022 से ऑस्ट्रेलिया के 31वें और वर्तमान प्रधानमंत्री के रूप में सेवारत है (Australian Prime Minister). वह 2019 से ऑस्ट्रेलियाई लेबर पार्टी (Labor Party) के नेता और 1996 से ग्रेंडलर के लिए संसद सदस्य (सांसद) हैं. अल्बानीस पहले 2013 में दूसरी केविन रुड सरकार के तहत 15वें उप प्रधानमंत्री रहे हैं. उन्होंने 2007 से 2013 तक केविन रुड और जूलिया गिलार्ड की सरकारों में विभिन्न मंत्री पद भी संभाले हैं.
अल्बानीस का जन्म 2 मार्च 1963 को सिडनी में हुआ था (Anthony Albanese Born). उनके पिता एक इतालवी और मां आयरिश-ऑस्ट्रेलियाई थीं (Anthony Albanese Family).
उन्होंने सेंट मैरी कैथेड्रल कॉलेज में पढ़ाई की और सिडनी विश्वविद्यालय से अर्थशास्त्र में ग्रैजुएट हैं (Anthony Albanese Education).
एंथनी अल्बानीज ने साल 2000 में कार्मेल टेबट से शादी की (Anthony Albanese Ex wife) और 2019 में दोनों अलग हो गए. 2019 में उन्होंने जोडी हेडन से सादी की (Anthony Albanese wife) और इनका एक बच्चा है (Anthony Albanese Children).
वह एक छात्र के रूप में लेबर पार्टी में शामिल हुए और संसद में प्रवेश करने से पहले एक पार्टी अधिकारी और शोध अधिकारी के रूप में काम किया. 1996 के चुनाव में अल्बानी प्रतिनिधि सभा के लिए चुने गए, उन्होंने न्यू साउथ वेल्स में ग्रेंडलर की सीट जीती. उन्हें पहली बार 2001 में साइमन क्रीन द्वारा शैडो कैबिनेट में नियुक्त किया गया था (Anthony Albanese Early life).
2007 के चुनाव में लेबर की जीत के बाद, अल्बनीज को सदन का नेता नियुक्त किया गया और क्षेत्रीय विकास और स्थानीय सरकार और बुनियादी ढांचा और परिवहन मंत्री भी बनाया गया था. अल्बनीस को लेबर पार्टी का उप नेता चुना गया और उप प्रधानमंत्री के रूप में शपथ ली.इस पद पर वह तीन महीने से कम समय तक रहे, क्योंकि लेबर 2013 के चुनाव हार गई. 2022 के चुनाव में, अल्बानीज ने स्कॉट मॉरिसन के लिबरल-नेशनल गठबंधन के खिलाफ निर्णायक जीत के लिए अपनी पार्टी का नेतृत्व किया. अल्बानीज प्रधानमंत्री बनने वाले पहले इतालवी-ऑस्ट्रेलियाई हैं और गैर-एंग्लो-सेल्टिक उपनाम रखने वाले पहले ऑस्ट्रेलियाई प्रधानमंत्री भी हैं (Anthony Albanese politicial Career).
ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री एंथनी अल्बनीज ने लेबनान में रह रहे हजारों ऑस्ट्रेलियाई नागरिकों को तुरंत लौटने का निर्देश दिया है. उन्होंने कहा कि बेरूत एयरपोर्ट जल्द ही बंद हो सकता है. एंथनी अल्बनीज ने ये भी कहा कि लेबनान की यात्रा ना करें, क्योंकि हवाई अड्डा बंद होने पर अन्य मार्गों से घर लौटने पर दिक्कत हो सकती है.
साल 2020 में ऑस्ट्रेलिया ने दो जासूसों को गुप्त रूप से देश से निकाल दिया था. अब ऑस्ट्रेलिया की मीडिया रिपोर्ट्स में दावा किया जा रहा है कि दोनों जासूस भारतीय थे जिन्हें गुप्त रूप से देश से निकाला गया था. इस पर ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री, वित्त मंत्री से सवाल किया गया है.
India vs Australia World Cup Final: भारत बनाम ऑस्ट्रेलिया के रोमांचक मुकाबले को देखने के लिए पीएम मोदी खुद अहमदाबाद के नरेंद्र मोदी स्टेडियम पहुंचेंगे. इस मैच में आने के लिए ऑस्ट्रेलिया के पीएम को भी निमंत्रण भेजा गया है.
कनाडा के भारत पर आरोपों ने हंगामा खड़ा कर दिया है. इस मुद्दे पर अमेरिका के साथ-साथ ऑस्ट्रेलिया ने भी टिप्पणी की है. पत्रकारों ने इस मुद्दे पर ऑस्ट्रेलियाई पीएम एंथनी अल्बानीज से भी सवाल किया जिससे वो बचते दिखे. पत्रकारों ने उनसे यह भी पूछ लिया कि क्या पीएम मोदी को बॉस कहकर वो पछता रहे हैं.
ह्यूमन राइट्स वॉच एशिया ने ऑस्ट्रेलिया को चेतावनी दी है कि वो भारत के साथ चीन वाली गलती ना करे. इसे लेकर ऑस्ट्रेलिया के उप प्रधानमंत्री रिचर्ड मार्ल्स से भारत में मानवाधिकारों की स्थिति पर सवाल किया गया जिस पर उन्होंने कहा कि भारत एक विशाल लोकतंत्र है. उन्होंने भारत का समर्थन करते हुए कहा कि दोनों देश समान मूल्य साझा करते हैं.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ऑस्ट्रेलिया यात्रा की चर्चा वहां के अखबारों में भी खूब हो रही है. अखबार लिख रहे हैं कि ऑस्ट्रेलिया में मोदी का भव्य स्वागत किया गया और पीएम एल्बनीज ने उन्हें बॉस कहकर संबोधित किया. ऑस्ट्रेलियाई अखबार यह भी कह रहे हैं कि दोनों नेताओं की मुलाकात में कहीं भी रूस-यूक्रेन युद्ध का जिक्र नहीं हुआ.
ऑस्ट्रेलिया की संसद में बुधवार को पीएम मोदी पर बीबीसी डॉक्यूमेंट्री की स्क्रीनिंग की गई जिसमें 50 लोग जुटे. इस दौरान एक ऑस्ट्रेलियाई सांसद ने कहा कि एंथनी अल्बनीज ने पीएम मोदी से मुलाकात के दौरान मानवाधिकार के मुद्दे पर उनसे बात नहीं की. उन्होंने कहा कि दोनों देशों के रिश्तों में आलोचना की जगह होनी चाहिए.
6 दिन, 3 देशों की कामय़ाब कूटनीतिक दौरे के बाद पीएम मोदी आज भारत लौट आए हैं. आज सुबह उनका विमान दिल्ली पहुंचा. जहां उनकी अगवानी में बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा भी पहुंचे थे. बड़ी तादाद में बीजेपी के कार्यकर्ता भी एयरपोर्ट पर आए थे. पीएम का ये दौरा कूटनीति के लिहाज से बेहद अहम रहा.
पीएम मोदी की तीन देशों की यात्रा में विदेश मंत्री एस जयशंकर भी उनके साथ मौजूद थे. उन्होंने पापुआ न्यूगिनी के पीएम द्वारा पीएम मोदी के पैर छूने और ऑस्ट्रेलिया के पीएम का मोदी को बॉस कहने की अनसुनी कहानी सुनाई. जयशंकर ने बताया कि मोदी का बॉस बोलने उनके नम की बात थी. देखें.
ऑस्ट्रेलिया की मीडिया ने पीएम मोदी को लेकर प्रधानमंत्री एंथनी अल्बनीज से तीखे सवाल किए हैं. मोदी की लोकप्रियता को लेकर भी सवाल किया गया जिसके जवाब में अल्बनीज ने कहा कि भारत में अधिकांश लोग उन्हें पसंद करते हैं. मोदी की आलोचनाओं वाले सवाल पर उन्होंने जोर देकर कहा कि भारत एक लोकतंत्र है.
जापान, पापुआ न्यू गिनी और ऑस्ट्रेलिया की पीएम मोदी की यात्रा में चीन को इंडो-पैसिफिक रीजन में घेरने के लिए अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया और जापान ने एकजुटता दिखाई. यही नहीं जी-7 ने तो चीन को दो टूक कहा कि इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में वो कोई भी ऐसा हरकत न करे जो विश्व शांति के लिए खतरा हो. उम्मीद के मुताबिक ही चीन को इस बयान से तीखी मिर्ची लगी.
पीएम मोदी ने बताया कि द्विपक्षीय वार्ता में भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच अगले दशक की रणनीती पर चर्चा हुई. इसके साथ ही माईनिंग में सहयोग बढ़ाने पर बातचीत हुई. ग्रीन हाइड्रोजन पर एक टास्क फोर्स के गठन का फैसला लिया गया.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लिए आजतक दोस्त, करिश्माई नेता और सच्चा देशभक्त जैसे शब्दों का इस्तेमाल होते सुना होगा. लेकिन आज ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री एंथनी एल्बनीज ने नरेंद्र मोदी को बॉस बता दिया. सवाल ये है कि ऐसा क्या हुआ जिसकी वजह से प्रधानमंत्री मोदी को ये उपाधि मिली? श्वेता सिंह के साथ देखिए 10तक.
भारत और ऑस्ट्रेलिया एक ऐसा तंत्र बनाने पर विचार कर रहे हैं जिसके तहत भारत को महत्वपूर्ण खनिजों की सुगमता से आपूर्ति की जा सकेगी. दोनों देशों के बीच इसे लेकर एक एमओयू भी साइन किया गया है. भारत सरकार साल 2030 तक नवीकरणीय ऊर्जा का उत्पादन बढ़ाने का लक्ष्य बना रही है, जिसके मद्देनजर ऑस्ट्रेलिया से यह समझौता बेहद अहम हो सकता है.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री एंथनी अल्बानीज के बीच कई मुद्दों पर चर्चा हुई है. शिक्षा से लेकर व्यापार तक, कई मुद्दों पर सहमति बनी है. कुछ एग्रीमेंट्स को लेकर भी बात की गई है. डिफेंस सेक्टर में कैसे सहयोग बढ़े, इसका रोडमैप तैयार किया गया है.