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अपरा एकादशी

अपरा एकादशी

अपरा एकादशी

अपरा एकादशी

ज्येष्ठ मास की कृष्ण पक्ष की एकादशी को व्रत किया जाता है. इस व्रत में भगवान विष्णु की पूजा करने का विधान है. हर साल 24 एकादशी होती हैं. जिस वर्ष मलमास आता है तब इनकी संख्या बढ़कर 26 हो जाती है, अपरा एकादशी कहा जाता है (Apara Ekadashi). अपरा एकादशी का हर साल मई के महीने में मनाया जाता है. पुराणों के अनुसार अपरा एकादशी व्रत करने वाले के समस्त पापों का नाश हो जाता है. भगवान विष्णु इस व्रत से प्रसन्न होकर श्रद्धालुओं को पुण्य प्रदान करते हैं. 

हिन्दू मान्यताओं के अनुसार श्रीकृष्ण ने अपरा एकादशी के बारे में युधिष्ठिर को बताया कि यह व्रत पुण्य प्रदान करने वाला और बड़े-बड़े पापों को नाश करने वाला होता है. ब्रह्मा हत्या से दबा हुआ और कई बड़े अपराध करने वाला भी यदि यह व्रत करता है तो अपरा एकादशी व्रत करने से उसके दोषों का नाश हो जाता है और वह श्री विष्णु लोक में स्थान पाता है (Apara Ekadashi Vrat). 

एक अपरा एकादशी करने से प्रयाग में स्नान, शिवरात्रि व्रत, गया में पिंडदान, बद्रिकाश्रम में भगवान केदार के दर्शन या सूर्यग्रहण में कुरुक्षेत्र में स्नान और दान के बराबर फल मिलता है. इस व्रत की कथा सुनने और पढ़ने से गोदान का फल मिलता है (Apara Ekadashi Worship).

अपरा एकादशी करने के कुछ नियम होते जिसे अपनाते हुए इस दिन पूजा की जाए तो व्रती का पूजा सम्पन्न माना जाता है. हिंदू धर्म की मान्यताओं के अनुसार, किसी भी एकादशी के दिन चावल का सेवन नहीं करना चाहिए. ऐसा माना जाता है कि एकादशी के दिन चावल का सेवन करने वाले अगले जन्म में रेंगने वाले जीव का जन्म लेते हैं. एकादशी के दिन काले रंग के कपड़े नहीं पहनना चाहिए. कोशिश करनी चाहिए कि इस दिन पीले रंग के वस्त्र ही पहने, खासकर जो व्रत रखते हैं (Some Rules for Apara Ekadashi Vrat). 
 

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